Navjeevan ki kimat by Jitendra Kabir
नवजीवन की कीमत
विनाश!
से डरना स्वाभाविक है
किसी भी जीव के लिए,
मगर यह सिर्फ एक माध्यम है
प्रकृति के लिए,
जो इसके जरिए करती है तबाह
अमर रहने के मंसूबों को,
इसका कहर भेदभाव नहीं करता
जानवर-इंसान, छोटे-बड़े के बीच,
सबको याचक की मुद्रा में लाकर
रख देती है पलक झपकते ही।
विनाश!
के जरिए ही प्रकृति अपने पुराने
गले-सड़े हिस्सों की मरम्मत कर
नयी कर लेती है अपनी काया
ताकि बन सके धरा फिर से उर्वर
नवजीवन को जन्म देने के लिए।