Udi re patang by Anita Sharma

November 09, 2021 ・0 comments

 उड़ी रे पतंग*

Udi re patang by Anita Sharma



उड़ी उड़ी रे पतंग मेरी उड़ी रे।

लेके भावनाओं के साथ उड़ी रे।


भर के उमंगो संग रंगीन कल्पनाये।

उड़ी रे बादलों के पास देखो उड़ी रे ।


भरी है आशायें और मजबूत इसकी डोर।

उड़ी उड़ी रे पतंग मेरी उड़ी रे ।


हिम्मतो की उड़ान का है जोता है बंधा।

देखो उड़ी रे पतंग होके बादलों के पार।


चाँद सितारों की चमक से चमकती है।

उड़ी उड़ी रे पतंग मेरी उड़ी रे ।


हवाओं के संग संग बहे रे।

ऊँची उड़ान और आसमान को छू रही।


मीठी मीठी है छुअन देखो उड़ी रे ।

उड़ी उड़ी रे पतंग मेरी उड़ी रे ।


----अनिता शर्मा झाँसी
-----मौलिक रचना

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