गुणगान ( गुरु)- तेज देवांगन
गुणगान( गुरु)
कितना करूं गुणगान इनका,
मेरे अल्फाज कम पड़ जाएंगे,
अगर पीरों भी लूं इन्हे तारो में,
मेरे साज कम पड़ जाएंगे.
कितना करूं गुणगान इनका..
मेरे अल्फाज कम पड़ जाएंगे,
अगर पीरों भी लूं इन्हे तारो में,
मेरे साज कम पड़ जाएंगे.
कितना करूं गुणगान इनका..
सोचता हूं लिख भी दूं, कहानियां इनकी,
कह भी दूं, दो बातें इनकी,
पर इनके किस्से कहानियों के,
मेरे शब्द कम पड़ जाएंगे,
कितना करूं गुणगान इनका,
मेरे अल्फाज कम पड़ जाएंगे,
अगर मैं वक्त का दौर ले भी लूं,
दशक कई दशक इन्हे दे भी दूं,
वक्त का दौर मुझसे फिसल जायेंगे,
कितना करूं गुणगान इनका,
मेरे अल्फाज कम पड़ जाएंगे।