अकेला!-डॉ. माध्वी बोरसे

अकेला!

अकेला!-डॉ. माध्वी बोरसे
दुख में हमेशा इंसान अकेला होता है,
सुख में दुनिया उसके साथ होती है!

उत्साह के लिए इंसान हमेशा अकेला होता है,
कमियां निकालने के लिए दुनिया उसके पास होती है!

दर्द में इंसान हमेशा अकेला होता है,
स्वस्थ होने पर दुनिया उसके साथ होती है!

रोते हुए इंसान हमेशा अकेला होता है,
खुशी में दुनिया उसके साथ होती है!

गरीबी में इंसान हमेशा अकेला होता है,
अमीरी में दुनिया उनके साथ होती है!

मेहनत करते हुए इंसान हमेशा अकेला होता है,
उस मेहनत का फल पाने के लिए दुनिया उसके साथ होती है!

कार्य करने पर इंसान हमेशा अकेला होता है,
किस्मत कैसे चमकी पूछने के लिए, दुनिया उसके साथ होती है!

आगे बढ़ने के लिए इंसान हमेशा अकेला होता है,
उसे रोकने के लिए और अड़चनें पैदा करने के लिए कहीं ना कहीं दुनिया उसके साथ होती है!

सच्चाई में इंसान हमेशा अकेला होता है,
भ्रम में दुनियां उसके साथ होती है!

संघर्ष में हमेशा इंसान अकेला होता है,
सफल होने पर दुनिया उसके साथ होती है!
संघर्ष में हमेशा इंसान अकेला होता है,
सफल होने पर दुनिया उसके साथ होती है!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
रावतभाटा (कोटा) राजस्थान !
( स्वरचित व मौलिक रचना)

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