गीत हमारे- डॉ हरे कृष्ण मिश्र

गीत हमारेगीत हमारे- डॉ हरे कृष्ण मिश्र

कुछ गीत ऐसे दर्द भरे,
गाकर सुना सकता नहीं,
पहले मेरे अश्क बहते,
दर्द छुपा पाता नहीं ।।

दृश्य ऐसे गीत में ,
दर्द भरे प्रीत में ,
आंसू भरे नयन में,
गीत रहे अधर में। ।।

गा सका न गीत को ,
दर्द तो दफन गए ,
आश मेरे टूट गए ,
जिंदगी बिखर गई ।।

सोचता रह गया,
देखता रह गया ,
अपने गंतव्य पर,
तुम तो चली गई ।।

जिंदगी विवश बनी,
कैसे सिमट गई ,
ढूंढता रह गया ,
अंतरिक्ष देखता रहा ।।

मौन लिखता रहा,
भाव भरता रहा ,
शून्य में लकीर को,
मैं खिंचता रहा ।।

जिंदगी रही कहां,
ढूंढता तुझे रहा ,
सांसों में सांस का,
एहसास करता रहा ।।

अंत दुखों का नहीं ,
वेदना तेरी मेरी है,
यहां किसी का ,
नहीं ठौर ठिकाना ।।

जीवन तो प्रतीक बना ,
चलना कितना होगा,
दर्द भरे जीवन को ,
जीना कितना होगा ???

मौलिक रचना
डॉ हरे कृष्ण मिश्र
बोकारो स्टील सिटी
झारखंड।

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