कदर-डॉ. माध्वी बोरसे
December 18, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
कदर!
कदर करें, जो हमारे पास है,क्यों हमेशा कोई ना कोई आस है,
हमें आखिर किसकी तलाश है,
हर व्यक्ति असंतुष्ट है, जब तक बाकी सांस है!
किसी को पाने के लिए, जो है वह भी छीन ना जाए,
उस वक्त हमें, अगर उसकी कदर समझ ना आए,
कुछ और हम पाए ना पाए,
पर स्वयं को संतुष्ट होकर, जो है उसकी कदर समझाएं!
जब तक कुछ हमारे पास नहीं होता है,
हमारा मन उसी के सपने संजोता है,
उसे पाते ही, नए सपने पीरोता है,
जो है उसकी ना कदर करते हुए, उसे भी खोता है!
महसूस करें हर पल, जिसके हम नजदीक हो,
ना किसी की चाह मैं, हमेशा हार और जीत हो,
किसी को खोने के लिए भी, ना भयभीत हो,
बस जो है पास, वह हो जाए खास, और उसी से हमारी प्रीत हो!!
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