ख्वाहिशें- आकांक्षा त्रिपाठी
December 18, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
ख्वाहिशें
मन को हसीन करने वाली ये ख्वाहिशें,
जिंदगी के समंदर में गोता लगाती येमशरूफ ख्वाहिशें।
चाहत,इच्छा,मन के भाव के इर्द गिर्द,
गोल गोल चक्कर लगाती ये ख्वाहिशें।
अनगिनत भावों को जाल में फसाती हैं ख्वाहिशें।
मैं हूं कहां, और जाना कहां हैं
रास्ते को करीब से रूबरू कराती हैं ख्वाहिशें।
ख्वाहिशों की उपज बड़ी आसान है जिंदगी में,
मंजिल के रास्ते आसान करती हैं ख्वाहिशें।
ख्वाहिशों का पैमाना समय पे निर्भर है,
वक्त बदलते ही बदल जाती हैं ख्वाहिशें।
ख्वाहिशें मांगती हैं किस्मत और मोहलत,
किसी को खुशी किसी को बेरुखी देती हैं ख्वाहिशें।
मन की चंचलता का परिणाम है ये ख्वाहिशें
कभी मिलती कभी छूटती,
वास्तविकता से परे जीवन का आयाम है ख्वाहिशें।
जीवन के पहलुओं का चक्र दर्शाती,
अद्भुत, बेमिसाल सदाबहार बागवान है ख्वाहिशें।।
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