हथकंडे धर्मांतरण के- जयश्री बिरमी
December 03, 2021 ・0 comments ・Topic: lekh
हथकंडे धर्मांतरण के
जब वह अपने पति के साथ लाहौर गई थी, प्रकाश पर्व मनाने के लिए। ये लाहौर जानेवाली महिला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की रहने वाली है।
श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाने के लिए 17 नवंबर को पाकिस्तान गए श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल भारतीय मूल की एक मूक-बधिर महिला ने लाहौर में निकाह रचा लिया। लाहौर की एक मस्जिद में उसने मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार निकाह किया।ये थी अखबार की हेडलाइंस।
परमजीत ने वहां इस्लाम भी कबूल किया।हालांकि, अभी परमजीत कौर भारत ,दिल्ली से वीजा लगवाकर पाकिस्तान गई हैं तो वहां की पुलिस ने वहां रहने की इजाजत नहीं दी हैं।
पाकिस्तानी शख्स से इंटरनेट मीडिया के जरिए जुड़ने से उसे पाकिस्तान रहने के वीजा नहीं मिल सकता हैं।
जानकारी के अनुसार, भारत से दिल्ली का वीजा लगवाकर पाकिस्तान गई थी तो वह अभी भी वह भारतीय नागरिक हैं।
पहले भी हो चुकी है ऐसी कई शादीयां ।
यह कोई पहला केस नहीं है, जब श्रद्धालुओं के जत्थे में शामिल महिलाओं ने पाकिस्तानी शख्स से शादी की हो।इससे पहले भारतीय पंजाब के बलाचौर शहर की रहने वाली किरण बाला ने जत्थे में जाकर पाकिस्तान में एक मुस्लिम युवक के साथ निकाह किया था।जाने कब रुकेंगे ऐसे सिलसिले ये तो भगवान ही जाने।
वैसे तो शायद हम सब को आवाज उठाने का हक्क हैं ही नहीं इतने शतकों से सब जुल्म सहते सहते आदत सी हो जानी चाहिए।पहले आतताई आते रहे हम पर जुल्म ढाते रहे और हम सहते रहें।वो आए मंदिरों को लूटा,औरतों की अस्मत लूटी, जहां दूध –घी की नदियां बहती थी वहां खून की नदियां बहा कर चले गए।ऐसे ही लूटते रहें दशकों तक लेकिन मुगलों ने तो लूटा भी और राज भी किया और हमारे देश को धर्मांतरण कर इस्लामिक बनाने के सारे हाथकंडे अपनाएं।हिंदू औरतों से शादी से लेकर राज्यों को जीत कर उसने इस्लाम को बढ़ावा देना आदि सब।फिर आए जेंटलमैन अंग्रेज जिन्हो ने देश की सभी व्यवस्था को अपने हिसाब से ढाल देश को शारीरिक और मानसिक तरीके से गुलाम बनया।दफ्तर,धर्म और शिक्षा को अपने हिसाब से ढाला,शिक्षा ऐसी बनाई कि सब क्लर्क पैदा हो जाएं,धर्म को कुरीतियों के आधार पर बदनाम किया,अपने धर्म ने धर्मांतरण करवाने के लिए लालच दिए।और देश की संपत्ति लूट कर अपने देश में ले गए । राजाओं से संरक्षण के लिए कर लेते रहे और डर के साथ जी रहें राजाओं को भी उनकी शर्तो पर चलना पड़ा या तो फिर अंग्रेजों से लड़ना पड़ा।लड़ाई भी कैसी? हिंदुस्तानी सैनिक कुछ अंग्रेज अधिकारीयों के तहत हिंदू राजाओं से ही लड़ते थे। कैसे सहा हम सब ने ये?विश्व युद्ध में भी हिंदुस्तानी सैन्य लड़ा भी तो अंग्रेजों के लिए,क्यों का जवाब हम किससे मांगे ? इतिहास से? जो लिखा गया कुछ प्रपंची लोगो द्वारा अपने फायदों के लिए,तथ्यों को छुपा कर या हकीकतें बदल कर।अब हमें ही जागना होगा।जो प्रश्न हम आज इतिहास से पूछ रहें हैं वो हमारी आनेवाली पीढियां हम से नहीं पूछे इसलिए।
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