क्या हमनें पा लिया है?- जितेन्द्र 'कबीर'
December 03, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
क्या हमनें पा लिया है?
वक्त गुजरने के साथ
सरल शिक्षाओं को
रूढ़ करके सदियों के लिए
जटिल हमनें बना लिया है,
महापुरुषों के
सच्चे उपदेशों को
अपने स्वार्थ में अंधे हो कर
अब हमनें भुला दिया है,
जिन धर्मों का जन्म हुआ था
मानवता के भले के लिए,
उन्हीं को इंसानियत के
कत्ल का कारण
हमनें बना लिया है।
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