जरूरत है जागरूक बनने की- जितेन्द्र 'कबीर'
December 03, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
जरूरत है जागरूक बनने की
देखकर उन्हें आनी चाहिए
आम जनता में सुरक्षित होने की भावना,
निकल जाना चाहिए डर मन से
गुण्डों, चोरों, झपटमारों एवं कातिलों का,
लेकिन बजाय इसके अगर आज
अधिकांश जनता के मन में
पुलिस को देखकर होता है
अपनी सलामती को लेकर डर का प्रादुर्भाव,
उठती हैं आशंकाएं उनकी लूट अथवा
अभद्र व्यवहार का शिकार बन जाने से संबंधित,
तो समझ जाना चाहिए सरकारों को
कि इस देश में जरूरत कितनी है
प्रभावी पुलिस सुधारों की,
और अगर दिखती नहीं यह कमियां किसी सरकार को
तो जिम्मेदारी जनता की है
जागरुक बनकर सरकार को आईना दिखाने की।
देखकर उन्हें आनी चाहिए
आम जनता में इंसाफ मिल जाने की भावना,
अपने ऊपर हुई बेइंसाफी के
न्यायोचित निपटारे की जगनी चाहिए
उनके मन में उम्मीद,
लेकिन बजाय इसके अगर आज
हमारी न्यायपालिका के घटकों को
देखकर होता है जनता के मन में
बुरे पचड़े में पड़ जाने की भावना का प्रादुर्भाव,
उठती हैं आशंकाएं चालबाजों और
पैसे वालों के हर हाल में
मुकदमें जीत जाने से संबंधित,
तो समझ जाना चाहिए सरकारों को
कि इस देश में जरूरत कितनी है
प्रभावी न्यायिक सुधारों की,
और अगर दिखती नहीं यह कमियां किसी सरकार को
तो जिम्मेदारी जनता की है
जागरुक बनकर सरकार को आईना दिखाने की।
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