सोच में अंतर
जितना कर सकते थे,
उससे कहीं ज्यादा बढ़करकरते हैं मां - बाप
अपनी औलाद के लिए
मगर शिकायत हमेशा से
रही है औलादों को
कि जितना कर सकते थे
मां-बाप,
उतना उन्होंने
किया नहीं उनके लिए,
मजे की बात यह कि
जिन लोगों ने ऐसी शिकायतें की
वो भी अपनी
पूरी कोशिशों के बावजूद
कभी पूरा नहीं पड़ पाए
अपनी औलादों के लिए,
दर-असल पिछली और
अगली पीढ़ी की सोच में
यह 'अंतर' पहले भी रहा है
और रहेगा शायद आगे भी
हमेशा के लिए।
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com