विश्वविख्यात विलियम शेक्सपियर-डॉ. माध्वी बोरसे!

विश्वविख्यात साहित्यकार विलियम शेक्सपियर

विश्वविख्यात  विलियम शेक्सपियर-डॉ. माध्वी बोरसे!
विलियम शेक्सपियर यकीनन सभी समय के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक है। उन्होंने 38 नाटकों, दो कथा, कविताओं, कई अन्य कविताएं और 154 सोनट्स लिखी हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविताएं कुछ हैमलेट और रोमियो और जूलियट हैं!
विश्वविख्यात साहित्यकार विलियम शेक्सपियर का जन्म 23 अप्रैल 1564 मैं हुआ था, और इतिहासकारों का मानना है कि इनकी मृत्यु भी इसी दिन हुई थी!

विलियम शेक्सपियर बहुत ही विशेष व्यक्ति थे, वह बहुत ही मेहनती, खुले विचारों वाले, आशावादी, दृढ़ संकल्प, और रचनात्मक व्यक्ति थे!
वह हर बात, कहानी, कविताएं, सोनेट, और नोवेल्स को बहुत ही विस्तार और अद्भुत ढंग से लिखते थे और बताते थे! शेक्सपियर को व्यापक रूप से दुनिया का सबसे महान नाटककार माना जाता है।
इनकी बहुत ही अच्छी बातें है, जो दिल को छू जाने वाली है, उनमें से एक बात है कि,
यदि आप अपने आप के साथ सत्य बोलते हैं, या स्वयं के साथ सच्चे हैं, तो हम किसी के लिए गलत नहीं हो सकते हैं!
इंसान होने के नाते हमें यह पता ही है, कि क्या सही है और क्या गलत है, फिर भी हम अपनी दिनचर्या में, स्वयं को झूठ बोलते हैं!
सुबह से ही ले लीजिए, हमें पता है कि हमे सबसे ज्यादा सुबह ही अच्छा महसूस होता है, शुद्ध हवा, शुद्ध वातावरण, हमें उत्साह और प्रसन्नता से भर देती है ! फिर भी हम स्वयं से झूठ कहते हैं, कि सुबह उठना इतना जरूरी नहीं, ऐसे ही बहुत से ऐसे कार्य है जिसको, करने कि हमारी आत्मा गवाही नहीं देती, फिर भी हम उसे करते हैं तो हम स्वयं को और साथ ही दूसरों को भी हानि पहुंचा रहे होते हैं! कहने का तात्पर्य यह है कि स्वयं से सत्य कहे, यहां तक की हम कभी कभी, खुद के स्वार्थ में दूसरों को बहुत हानि पहुंचाते हैं, भ्रष्टाचार करना, निर्दयता दिखाना, अपमान करना, अत्याचार सहना, इन सभी की हमारी आत्मा गवाही नहीं देती है, फिर भी हम स्वयं से सच नहीं कहते हैं!
तो चलिए आज जैसे कि विलियम शेक्सपियर का जन्म दिन है, तो उनके सम्मान में, हम प्रतिज्ञा लेते हैं, कि स्वयं से कभी झूठ ना बोले, स्वयं से हमेशा सच बोलेंगे, और यही असली आत्म सम्मान होगा! मैं शेक्सपियर की, कुछ बातें, कुछ पंक्तियों में बताना चाहूंगी!

प्रेम सबसे करें,
विश्वास कुछ पर करें!
किसी को नुकसान ना पहुंचाएं,
बहादुरी के साथ जिंदगी को बिताए
अपने आचरण का परिणाम धैर्य रखकर सहे,
दूसरों से उम्मीद ना रखे,
सोचे, समझे फिर हर बात को कहें!
सोचे, समझे फिर हर बात को कहें!

डॉ. माध्वी बोरसे!
लेखिका!
राजस्थान (रावतभाटा)

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