अलविदा- सुधीर श्रीवास्तव

January 06, 2022 ・0 comments

अलविदा

अलविदा- सुधीर श्रीवास्तव
अब तुम जा रहे हो
न तनिक सकुचा रहे हो,
लगता है बड़े बेशर्म हो गये हो।
जाओ न हम भी कहां कम हैं

तुम्हारे जाने से कुछ फर्क नहीं पड़ता
बस हमारे जीवन का एकवर्ष
अपने साथ ले जा रहे हो,
अपने भाई को हमारे सिर पर
बैठाकर भी जा रहे हो।
तुम अच्छे बुरे जैसे भी थे
शिकवा शिकायत नहीं हमें
बस इतना समझा देना अपने भाई को
हम पर जरा रहम करे,

सूकून से जीने खाने कमाने दे,
जैसे दो हजार बीस ने तुम्हें समझाया था
तुम्हें समझ भी आया था,
पर जाते जाते तुमनें भी
तुम अपना रंग दिखा ही दिया।

अब तुम जा रहे हो तब
तुम्हें कोसना अच्छा नहीं लगता
तुम्हें अलविदा करते समय
मुँह मोड़ना अच्छा नहीं लगता।

अब तुम जाओ दो हजार इक्कीस
तुम्हें अलविदा कहता हूँ,
जैसे तुम्हारा स्वागत किया था
उसी तरह दो हजार बाइस के स्वागत में
आज भी ठीक वैसे ही खुश होकर
एक बार फिर से खड़ा हूँ।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित



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