कितनी हैरानी की बात है!
कितनी हैरानी की बात है
कि भौतिक जीवन की सार हीनता और
मृत्यु को सहज भाव से स्वीकार करने के
उपदेश दे - देकर जनता को
लाखों-करोड़ों की धन-संपत्ति एवं
अनुयायी अर्जित करने वाले आध्यात्मिक ज्ञानी
खुद मौत का सामना करने से
अक्सर कतराते हैं,
और इस तरह अपनी ही विचारधारा को
खोखला साबित कर जाते हैं
कितनी हैरानी की बात है
कि स्वदेशी चिकित्सा पद्धति एवं
जीवन की जनता के बीच
वकालत कर अपना लाखों करोड़ों का
धंधा जमाने वाले महानुभाव
खुद को जरा सा भोजन विकार होने पर
विदेशी पद्धतियों के आश्रय में
चले जाते हैं,
और इस तरह से अपने भक्तों का
अच्छा खासा बेवकूफ बना जाते हैं।
कितनी हैरानी की बात है
कि अपने आपको सर्वकालिक महान जन सेवक
घोषित करने वाले हमारे नेता
खुद वी.वी.आई.पी. सुरक्षा घेरे से
सुरक्षित होने के बावजूद
विरोध के पोस्टर पकड़े थोड़े से लोगों को
अपनी जान के लिए बहुत बड़ा
खतरा बता सारे संसार में हल्ला मचाते हैं,
और इस तरह जनता में से ही एक होने के
अपने दावे को खंडित करते जाते हैं।
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