अक़्ल और इमान खतरे में है-अजय प्रसाद

अक़्ल और इमान खतरे में है

अक़्ल और इमान खतरे में है-अजय प्रसाद
अक़्ल और इमान खतरे में है
अब मुर्दे की जान खतरे में है।
आप जीते रहें होशोहवास में
ज़िंदगी पे एहसान खतरे में है।
देखना वक़्त दे जाएगा दगा
आज का नौजवान खतरे में है ।
क्या करेगा झोंपड़ी बना कर
बँगले आलिशान खतरे में है ।
खूबसूरत चेहरे,खोखली हँसी
आजकल इन्सान खतरे में है ।
देख हालात-ए-हुस्नोईश्क़ की
आशिक़ी की दुकान खतरे में है ।
करने लगे हैं जिस तरहा इबादत
अल्लाह और भगवान खतरे में है
डूबे हुए हैं इतने खुदगर्जि में लोग
अपनी अपनी पहचान खतरे में है।
तुम खुश हो हमारा जलता देख के
भूल गये तुम्हारा मकान खतरे में है।
मसीहा न पैगंबर,न ही कोई अवतार
लगता है कि अब जहान खतरे में है।
अबे अजय !तुझे बड़ा इल्म है सबका
मगर सुन तेरा ये इमकान खतरे में है।

इमकान =expectation /सम्भावना

-अजय प्रसाद


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