प्रणय जीवन- डॉ हरे कृष्ण मिश्र

प्रणय जीवन

प्रणय जीवन- डॉ हरे कृष्ण मिश्र
प्रेम जीवन में प्रवाहित,
प्रेम से जीवन जुड़ा है,
प्रेम का परिणाम हम हैं,
प्रेम को जीवन समर्पित ।।

जिंदगी पर्याय तुमसे ,
जिंदगी की कामना तू ,
जिंदगी में तू प्रवाहित,
जिंदगी तुमसे है मेरी ।।

इस धरा की तू है धरोहर,
इस धरा पर जब तू आई,
इस धरा पर पैगाम तेरा ,
इस धरा पर मुझको मिला ।।

प्यार का परिणाम तेरा ,
परिणय में मुझको मिला,
प्रिय पावन सौंदर्य तेरा ,
प्रणय का अनुदान पाया।।

प्रीति तेरी रीत बन गई ,
प्रीत में हर रीत निभाई ,
प्रीत पावन पथ हमारा ,
प्रीत के ही गीत मेरे ।।

अर्चना में चल करूं मैं,
आराधना हर दम तुम्हारी,
अभ्यर्थना किसका करूं ,
छोड़ मुझको तुम गयी ।।

चल बंदना में आओ बैठें ,
साथ मिलकर हाथ जोड़ें,
प्रीत की है रीत यह तो ,
प्रीत है पावन हमारा ।।

कितना पुराना बंधन हमारा,
टूट जाएगा न सोचा मैं कभी,
हर समर्पण परिपूर्ण अपना ,
प्रतिदान में सब कुछ मिला है ।।

जिधर हमारी दृष्टि घूम गई ,
तुम्हारा ही मुस्कान मिला है ,
दुनिया तो यह बहुत बड़ी है,
सर्वत्र तुम्हारा प्यार मिला है ।।

तुम बहुत दूर मुझसे जा बैठी,
क्या खता हुई मेरी प्रीति में ,
कुछ कहने को शब्द नहीं हैं ,
फिर भी अभिव्यक्ति मेरी है ।।

जनम जनम का साथ है मेरा,
क्यों दर्द लिए मैं आज अकेला ,
अतीत हमारा कितना सुंदर है
वर्तमान हमारा हमसे रूठा है ।।

आभार भरा हृदय अभिव्यक्ति,
नयन नीर में लेकर आया हूं ,
, क्या बोलूं किससे मैं अपनी,
कुछ व्यक्त नहीं मैं कर पाता हूं ।।

मौलिक रचना
डॉ हरे कृष्ण मिश्र
बोकारो स्टील सिटी
झारखंड।



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