घटा मुझ को यही बतला रही है- प्रिया सिंह

ग़ज़ल -घटा मुझ को यही बतला रही है

घटा मुझ को यही बतला रही है- प्रिया सिंह
घटा मुझ को यही बतला रही है।
मुसीबत हर तरफ़ से आ रही है।

ख़ुशी के नाम पर ये ज़िन्दगी अब,
कहानी रोज़ इक समझा रही है।

किसी मुर्दे को जैसे चील खाए,
उदासी वैसे मुझको खा रही है।

सकूं की आरज़ू में ज़िन्दगी अब,
तुम्हारी ओर लेकर जा रही है ।

सभी जिस हाल में करते हैं तौबा,
'प्रिया' उस हाल में ज़िन्दा रही है।

प्रिया सिंह 
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