इंसानियत को बचाओ- जितेन्द्र 'कबीर'
January 06, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
इंसानियत को बचाओ
दुनिया में
कहीं भी हो रहा हो अन्याय
तो उसके खिलाफ आवाज उठाओ,
रोकने की उसे करो पुरजोर कोशिशें
विरुद्ध उसके जनमत बनाओ,
कि कल को हो सकते हैं
हमारे भी ऐसे ही हालात,
इसलिए पीड़ितों के आज को बचाओ,
अपने आने वाले कल को बचाओ।
दुश्वारियां हैं
इस राह पर बड़ी सोचकर यह
संघर्ष से कभी न घबराओ,
जुल्म देखकर होता कोई
अपना मुंह न यूं दूसरी तरफ फेर जाओ,
कि हमारा डर ही बड़ी वजह है
हमारे ऊपर अत्याचार होते रहने की,
इसलिए रखकर हौसला उससे
एक बार उससे अपनी नज़र मिलाओ,
अपने मन से उसे दूर भगाओ।
नस्लों और धर्मों के आधार पर
इंसान को बांटने वाले बहुरूपियों के
बहकावे में मत भूलकर कभी आओ,
इंसानियत रहेगी तो रहेगा धर्म भी
यह बात जितनी जल्दी हो सके समझ जाओ,
कि सबसे जरूरी है दुनिया में
आपसी प्रेम, दया और भाईचारे को बचाना,
उसके लिए सबसे पहले इंसान को बचाओ,
इंसानियत को बचाओ।
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