मान हैं मुझे तुम पर-जयश्री बिरमी
January 13, 2022 ・0 comments ・Topic: Jayshree_birmi poem
मान हैं मुझे तुम पर
आन भी हैं तू मान भी हैं तूहिंदी तू हिंदुस्तान की जान हैं तू
तेरी मीठे शब्दों से कान में घुले हैं रस
तेरी ही बानी बोलते हैं सब
तेरी ही अगुआई में बोलियां हैं कई
तू ही बनी हैं उद्भवन कई भाषाओं की
संस्कृत और अर्धमाग्धी के चरणों में भी तू
उर्दू के जहनी शब्दो को तूने सहलाया हैं
तेरी विलक्षण काया को कईं
भाषा के शब्दों ने सजाया हैं
तेरे महत्व को सबने समझा अब
सभी भारतवासियों ने भी तुझे नवाजा हैं
तू हैं दिल के लब्ज़ तू ही है मन की आवाज
तेरे होने से बनी रही हैं इस देश की लाज
अपने सर माथे पे धरके तुझे बनाया हैं ताज
कहीं भी रहे हम तुमको भूल न पाएंगे
जो भूले उन्होंने क्या खोई नहीं अपनी पहचान
तू हिंदुस्तान की हैं हिंदी
तू है हमारी ही प्रार्थना और तू ही अजान
रहें तेरी ही संगत में चाहे हो देश कोई भी
प्रदेशों में भी तू ही हैं संग हमारे
मेरी हिंदी ,मेरी हिंदी तू ही हैं महान,तूही हैं आनबान
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