मुहब्बत जालिम - डॉ इंदु कुमारी
January 15, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr-indu-kumari poem
मुहब्बत जालिम
किसी की नहीं होती है
जालिम मुहब्बत ये है
बड़ी मगरुर होती है
बड़ी मशहूर होती है
बाँधो चाहे पैरों में डोरी
या दीवारों में चुनवा दो
ये दिल क्या चीज होती है
नैनो की झनकार होती है
बैठ दिल के झरोखे पर
चुनौती स्वीकार करती है
जो भागे सदा इनसे तो
पल्लू थाम ही लेते हैं
जो मिले ना मिले तो क्या
इश्क़ की जाम पी लेते हैं
एक तरफा भी हो तो क्या
चाहे गुमनामी में बदल जाए
ये रब की ईबादत है कि
सच्चे इश्क़ की शहादत है
चाँद दिल के दरिया में
सदा विराजमान होते हैं
इश्क़ दिल के है नूर है
चाहत मशहूर होते हैं ।
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