सृष्टि में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं

कविता
सृष्टि में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं

सृष्टि में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं
सृष्टि में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं
हम क्या जाने हमारे लिए हमारी मां
कितने दिन कितनी रातें सोई नहीं
माता-पिता से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं

माता-पिता से बढ़कर कोई तीर्थ देवता गुरु नहीं
मां पृथ्वी से बड़ी पिता आकाश से ऊंचा है
माता-पिता से मिले संस्कार की तुलना नहीं
माता-पिता की सेवा तुल्य कोई पुण्य नहीं

जिनके हृदय में माता-पिता का मूल्य नहीं
सृष्टि में वह मानवता के तुल्य नहीं
माता-पिता को ठेस पहुंचाने तुल्य कोई पाप नहीं
माता-पिता की सेवा कर ख़ुश रख़ने जैसा पुण्य नहीं

लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट की किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र



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