काश!!! बचपन के वह दिन लौट आएं
February 04, 2022 ・0 comments ・Topic: kishan bhavnani poem
कविता
काश!!! बचपन के वह दिन लौट आएं
बचपन के दिन कितने सुहाने थे
काश कभी ऐसा करिश्मा भी हो जाए
बचपन के वह सुहाने दिन लौट आए
नया ज़माना छोड़ पुराने जमाने में लौट जाएं
समय का चक्र कुछ पीछे घूम जाए
मम्मी पापा छोटी बहन ऊपर से वापस आ जाएं
फ़िर साथ बैठ देर तक बतियाएं
समय चक्र विनती है कुछ पीछे घूम जाएं
मोबाइल कार कंप्यूटर वापस चले जाएं
मम्मी पापा परियों की बस कहानी सुनाएं
बड़ी हुई भारी जिम्मेदारी वापिस छूट जाए
बचपन के वह सुहाने दिन वापस अा जाएं
हम थोड़े में संतुष्ट हो वह अनुभूति वापस आएं
महल गाड़ी नहीं चाहिए पुराना घर वापस आएं
कुएं तालाब पर रोज़ नहाएं वह दिन वापस आएं
मस्ती करें डॉट खाएं गुस्सा कभी ना आएं
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