खुद को परख-डॉ. माध्वी बोरसे!

खुद को परख!

खुद को परख-डॉ. माध्वी बोरसे!
करके दिखा तू सोच मत,
इतनी सी बात तू दिल में रख,
जज्बा हो तुझ में जबरदस्त,
खुद को परख, खुद को परख!

कर ले पूरी तू सारी हसरत,
इस दुनिया में तू भी दमक,
थोड़ा सा हो जा तू भी व्यस्त,
खुद को परख, खुद को परख!

खूबियां तुझ में समस्त,
हीरे के जैसे तुझ में चमक,
हो जा और ताज़ा और स्वस्थ,
खुद को परख, खुद को परख!

खामियों को कर परस्त,
तुझ में भी है एक खनक,
चुन ले तू नेकी का पथ,
खुद को परख, खुद को परख!

मुश्किलें आए अनगिनत,
चलते जा तू बेधड़क,
पूरी हो तुझ में शिद्दत,
खुद को परख, खुद को परख!

अमूल्य जीवन की तू कर इज्जत,
सबके जीवन को कर दे जगमग,
तुझ में भी है वो हिम्मत,
खुद को परख, खुद को परख!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)

राजस्थान (रावतभाटा)

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