मेरे लेखन का ध्येय- जितेन्द्र 'कबीर
February 14, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
मेरे लेखन का ध्येय
मुझे पता है
कि आजकल मेरा लेखनसरकार में शामिल दलों और
उनके समर्थकों को नहीं भाता है
क्योंकि इसमें आए दिन
उनकी नाकामियों का लेखा-जोखा
उभर कर आता है,
इसके विपरीत सरकार विरोधियों को
मेरा लिखा सुहाता है
और ऐसा होना लाजमी भी है
क्योंकि इस दुनिया में दुश्मन का दुश्मन
भी दोस्त कहलाता है।
मुझे विश्वास है
कि जो लोग आज सत्ता में हैं
वो कल विपक्ष में जाएंगे तो
मेरे लेखन पर जरूर तालियां बजाएंगे
और जो लोग विपक्ष में हैं
अगर वो सत्ता में आएंगे तो
मेरे लेखन पर पक्का गुर्राएंगे,
क्योंकि इन लोगों की आस्था
देश के प्रति नहीं
सिर्फ दल विशेष के प्रति है,
उस दल से कोई भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी,
हत्यारा भी टिकट लेकर आएगा
तो वो उसे भी वोट देकर जिताएंगे,
अपने दल के गलत निर्णयों की
करेंगे हमेशा तारीफ ही
लेकिन दूसरों की सही बातों को भी
गलत ही ठहराएंगे।
मुझे उम्मीद है
कि मेरा लेखन हमेशा बुराइयों के
प्रतिकार में खड़ा रहेगा,
सच्चाई और न्याय के पैरोकार
के तौर पर खड़ा रहेगा,
वंचितों और शोषितों के मददगार
के तौर पर खड़ा रहेगा,
डरा कर दबाई जा रही आवाजों की
पुकार के तौर पर खड़ा रहेगा
और तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र की
हुंकार के तौर पर खड़ा रहेगा।
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.