बज़ट में मध्यवर्गीय का हाल

कविता
बज़ट में मध्यवर्गीय का हाल

बज़ट में मध्यवर्गीय का हाल

बज़ट में मध्यमवर्गीय का हाल बेहाल
गरीबों को हमेशा की तरह मिली सब्सिडी
अमीरों को शिद्दत से मिला रिबेट
मध्यमवर्गीय टीवी देखो तुम्हें मिला डिबेट

कोरोना महामारी ने किया बुरा हाल
आयकर की सीमा बढ़ेगी सोचे सुधरेगा हाल
निराश हुए बजट से किया बेहाल
बोले विज़न 2047 से हो जाओगे लाल

बजट में आत्मनिर्भर भारत का भी सुनाया हाल
भविष्य में नागरिक हो जाओगे मालामाल
बाकी कुछ नहीं हमारी नीतियों में है कमाल
भविष्य की योजना हैं हो जाओगे मालामाल

-लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानूनी लेखक,
 चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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