अमीर और गरीब की परिभाषा!

अमीर और गरीब की परिभाषा!

अमीर और गरीब की परिभाषा!
जिंदगी में कोई किसी चीज से अमीर होता है तो कोई किसी चीज से गरीब! अमीर सिर्फ इंसान पैसों से ही नहीं होता है और गरीब भी इंसान सिर्फ पैसों से ही नहीं होता है! हम जिंदगी से जो बहुत ज्यादा मांगते हैं, या किसी मनुष्य से मांगते हैं उस वस्तु को, वह इंसान गरीब ही होता है! कोई प्यार से गरीब, तो कोई समझदारी में गरीब, कोई तकनीकी व्यवसाय में गरीब, तो कोई रंग रूप से, ऐसा इंसान हमेशा कोशिश करता है कि उसे वह चीज कैसे मिले!

अक्सर देखा गया है, धन होने से लोग यह सोचते हैं कि वह बहुत अमीर हो गए, एक अलग सा अभिमान उन्हें स्वयं पर होता है!
पर फिर भी कहीं ना कहीं किसी ना किसी चीज के लिए वह बहुत तड़प रहे होते है! बहुत सारा धन होने के बावजूद भी, उनकी जिंदगी में बहुत सी चीजों में खालीपन होता है, जिसे वह पूरी कोशिश करके भरना चाहते हैं पर सच तो यह है कि हम हमेशा किसी ना किसी चीज में अमीर होंगे और गरीब होंगे तो अभिमान ,अहंकार की बात तो यहीं खत्म हो जाती है!
अगली बार से कभी हम किसी से कहें तो हमें यह कहना चाहिए कि आप पैसों से अमीर है या मैं पैसों से अमीर हूं, हम यह भी कह सकते हैं कि मैं पैसों से तो नहीं पर ज्ञान, समझदारी, प्रेम और खुशी से अमीर हूं!

मैंने अक्सर पैसों से गरीब को भी बहुत खुश रहते हुए और जो व्यक्ति पैसों से अमीर हे उसको भी बहुत रोते हुए, मानसिक तनाव में, नशे में धुंध और परेशान होते हुए देखा क्योंकि कोई व्यक्ति पैसों से गरीब होता है तो खुशियों से अमीर होता है!

हमें जिंदगी में संतुष्ट होने की अधिक कोशिश करनी चाहिए, कोशिश यह भी हो कि हम जो चाहे हमें वह मिले पर स्वयं की काबिलियत से! कभी-कभी हम कुछ पाने के लिए दूसरों को परेशान करते हैं जैसे बच्चों का मम्मी पापा को परेशान करना, बड़े होने के बावजूद भी वह आर्थिक रूप से स्वतंत्रता ना होते हुए उनसे हर चीज मांगते हैं साथ ही यह बात हम सफर पर भी! कभी-कभी तो कुछ लोग एक दूसरे को चाहने लगते हैं और वह एक दूसरे को कम उनके सौंदर्य और उनके धन को ज्यादा, इस पर यह भी होता है कि सामने वाला व्यक्ति को जब यह बात समझ आने लगती है तो वह उस स्वार्थी इंसान से दूर होने लगता है पर उनमें से कुछ लोग चाह के चक्कर में पीछे ही पड़ जाते हैं! अगर कोई आपको ना पसंद करता है तो आप उस को मजबूर नहीं कर सकते आपको अपना सम्मान करना चाहिए और स्वयं को ऐसा बनाएं कि आपको उससे भी बेहतरीन व्यक्ति मिले!


ईश्वर अक्सर हमें, हमारी काबिलियत को देखते हुए ही हमें हर वस्तु प्रदान करता है, अगर हमें किसी से मांगना है तो उसी से मांगे और उसके लिए कोशिश भी करें!
परमात्मा भी उसी की सहायता करता है जो स्वयं की सहायता करना जानते हैं!
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, पूरी कोशिश करें कि हम संतुष्ट रहे और जो भी मिलता जा रहा है एवं जो हमारे जीवन में उन सभी की कदर करें, सभी इंसानों की, सभी रिश्तो की, सभी दोस्तों की, सारी परिस्थितियों की, वरना हमारे पास जो है, हम वह भी खो देंगे जो नहीं है उसको पाने के चक्कर में!

चाहे कोई भी परिस्थिति हो, इंसान हो, रिश्ता हो या कोई वस्तु हो अगर वह हमारी है तो हमारे पास ही रहेगी, जो हमारी नहीं है उसके लिए हम कभी-कभी कितना भी प्रयत्न कर ले वह मैं नहीं मिल पाएगी, इसलिए जो हमारे पास है उसके लिए शुक्रगुजार होते हैं और जो नहीं है उसको भी यह सोचकर प्रयत्न करते हैं, मिला तो ठीक नहीं तो जो है उसमें भी खुश!

देखिए हमें जीवन मैं संतुलन बना के रखना चाहिए, अगर हम किसी भी चीज में दुनिया के सबसे अमीर हो जाए तो उनमें से बहुत चीज होगी जिसमें हम गरीब रहेंगे साथ ही साथ हमें जीवन में किसी भी चीज के लिए भिकारी नहीं होना है, हम सभी में आत्म सम्मान पूर्ण रूप से होना चाहिए!

तो चलिए जीवन में संतुलन लाए,
हक हलाल की कमाई करके खाए,
कोई पैसों से गरीब, तो कोई हुनर से और कोई शक्ल सूरत से,
स्वयं के जीवन में संतुलन लाएं!

डॉ. माध्वी बोरसे!
क्रांतिकारी लेखिका!
राजस्थान (रावतभाटा)

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