Bharat samriddh sanskritik virasat ki bhumi hai

भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि है

Bharat samriddh sanskritik virasat ki bhumi hai
भारत मानव सभ्यता की शुरुआत से ही समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि रही है

भारत में संग्रहालयो की पुनर्कल्पना पर पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन सराहनीय कदम है- एड किशन भावनानी

गोंदिया - किसी भी देश की सांस्कृतिक, साहित्यिक सभ्यता विरासत को संजोकर रखने का काम जितनी संजीदगी, गंभीरता, सुव्यस्था के साथ संग्रहालयों द्वारा किया जाती है शायद किसी अन्य व्यवस्था, संस्था द्वारा करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए हर देश के पौराणिक, महत्वपूर्ण संग्रहालयों को सैल्यूट!!!
साथियों बात अगर हम भारत की करें तो भारत आदि जुगादि काल से ही, मानव की सभ्यता की शुरुआत से ही समृद्ध, संस्कृतिक विरासत को संजोकर रखने की विशेष भूमि रही है, यही कारण है कि आज भारत में 1,000 से अधिक संग्रहालय न केवल इस सांस्कृतिक धरोहर रूपी विरासत को प्रदर्शित करने और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहैं है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित भी कर रहा है।
साथियों बात अगर हम हमारी अगली शायद सैकड़ों पीढ़ियों के लिए अपने इस अनमोल संस्कृतिक, संस्कृति, भारतीय सभ्यता को संरक्षित करने की करें तो इसे अत्यंत सुरक्षा के साथ संरक्षित करना न केवल हमारा कर्तव्य है बल्कि एक बहुत बड़ी विशालकाय ज़वाबदारी भी है क्योंकि हमारी अगली पीढ़ियों का सवाल है!! उन्हें भी भारतीय परंपरा, संस्कृति, सभ्यता का अभूतपूर्व ज्ञान हो।
साथियों बात अगर हम आज के डिजिटल युग में हमारी विरासत, धरोहर को संरक्षित करने की करें तो डिजिटलाइजेशन के कारण हमारी संस्कृति, विरासत, सभ्यता को सुरक्षित, संरक्षित करने में आसानी उपलब्ध हुई है।
साथियों मानवीय रूप से संरक्षित करने के अनेक खतरे और असुविधाएं थी। मसलन- प्राकृतिक विपत्तियों से खतरा, दीमक कीड़ों इत्यादि से खतरा, मानवीय हरकत के कारण चोरी, विलुप्तता का खतरा हमेशा बना हुआ था। परंतु डिजिटलाइजेशन के कारण हमारी धरोहर, विरासत को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संरक्षित करने, अनेक डिवाइसेज में ट्रांसफर कर एक नहीं बल्कि एक ही सांस्कृतिक विरासत को अनेक स्थानों पर संरक्षित किया जा सकता है जिससे यह सदियों तक सुरक्षात्मक घेरे में रहेगी परंतु उस विरासत धरोहर को फिजिकल रूप में भी सुरक्षित रखना ही है।
साथियों इसलिए संग्रहालयों की अति महत्वपूर्ण भूमिका है। संग्रहालयों को इसी विशेष भूमिका को रेखांकित करते हुए संस्कृति मंत्रालय ने 15 से 16 फ़रवरी 2022 को एक विशेष भारत में संग्रहालयों की पुनर्कल्पना पर पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है तथा नए संग्रहालयों पर डिजिटल संवर्धित वास्तविकता और वर्चुअल वास्तविकता जैसी आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित नए संग्रहालयों के निर्माण पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है।इस ऑनलाइन चलने वाले वैश्विक शिखर सम्मेलन में भारत, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन जैसे देशों के प्रतिभागी इसमें हिस्सा लेंगे।
साथियों बात अगर हम भारत में संग्रहालयों की पुनर्कल्पना पर अपनी तरह के पहले, दो दिनों तक चलने वाले वैश्विक शिखर सम्मेलन की करें तो संस्कृति मंत्रालय की पीआईबी के अनुसार, यह वैश्विक शिखर सम्मेलन भारत और दुनिया भर में संग्रहालय विकास और प्रबंधन के क्षेत्र से जुड़ी अग्रणी हस्तियों, इस क्षेत्र के विशेषज्ञों और पेशेवरों को एक साथ लाएगा, ताकि सर्वोत्तम तौर-तरीकों और रणनीतियों पर चर्चा की जा सके। इसमें 25 से अधिक संग्रहालय विज्ञानी और संग्रहालय से जुड़े पेशेवर संग्रहालयों के लिए नई प्राथमिकताओं और तौर तरीकों के बारे में गहन विचार -विमर्श करेंगे। ज्ञान साझा करने के परिणामस्वरूप नए संग्रहालयों के विकास के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार होने के साथ-साथ एक नया कार्यक्रम तैयार होगा और भारत में मौजूदा संग्रहालयों को फिर से जीवंत करने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।
आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में यह शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जो भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश की जनता, इसकी संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने के लिए प्रमुख कार्यक्रम है।
शिखर सम्मेलन के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा,भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि है जो मानव सभ्यता की शुरुआत से ही है। आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान, हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, सुरक्षित करने और उसे कायम रखने के लिए नए सिरे से अपना ध्यान केंद्रित करने तथा समर्पित करने पर गर्व हो रहा है। भारत के 1000 से अधिक संग्रहालय न केवल इस सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने और संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी शिक्षित करते हैं।
ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में चार व्यापक विषय शामिल होंगे-वास्तुकला और कार्यात्मक आवश्यकताएं, प्रबंध, संग्रह (क्यूरेशन और संरक्षण के तौर-तरीकों सहित) और शिक्षा एवं दर्शकों की भागीदारी। उन्होंने कहा,पिछले वर्षों में आकर्षक प्रदर्शों और विषय-सामग्री सहित, डिजिटल, संवर्धित वास्तविकता और वर्चुअल वास्तविकता जैसी आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित नए संग्रहालयों के निर्माण पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया गया है। हमने मौजूदा संग्रहालयों के उन्नयन में भी काफी निवेश किया है ताकि वे नई पीढ़ी के लिए प्रासंगिक बने रहें।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि है।भारत मानव सभ्यता की शुरुआत से ही समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि रही है। भारत में संग्रहालयो की पुनर्कल्पना पर पहले वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन सराहनीय कदम है।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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