Hamein ajeevika ki raksha karni hogi
हमें आजीविका की रक्षा करनी होगी
भारत के दूरदराज के कोने कोने में समृद्धि लाने तकनीकी भूमिका बढ़ानी होगी
जनसांख्कीय लाभांश को एक समग्र दृष्टि से देखने की आवश्यकता - हर व्यक्ति को अपने हुनर में तकनीकी का उपयोग करना ज़रूरी- एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में एक ज़माना था जब जनसंख्या और बेरोज़गारी भयंकर भारी समस्या और मुद्दा माना जाता था और इसके समाधान के लिए नीति निर्धारकों के पसीने छूट जाते थे परंतु समस्या का समाधान नहीं निकलता था और अनिवार्य नसबंदी कार्यक्रम चलाए जाते थे। हमने अपने बचपन में इस तरह की ज़बरन नसबंदी के मामले बहुत सुने थे। हालांकि अभी भी जनसंख्या नियोजन का मामला गूंजते रहता है और जनसंख्या नियंत्रण कानून की चर्चा समय- समय पर होती रहती है। हाल ही में मीडिया के अनुसार एक दो राज्यों ने लागू भी किया है।
साथियों बड़े बुजुर्गों का कहना है कि अभी जो समस्या है उसका समाधान, उसको दूर करने के उपाय खोजो ना कि उसपर बहसबाजी! बिल्कुल सच और सही!! वहीं!!! वही इसी मंत्र का उपयोग मानवीय बुद्धि में आया है कि जनसांख्यकीय लाभांश को समग्र दृष्टि से देखने और उसका उपयोग करने, कौशलता विकास कर हर व्यक्ति को अपने हुनर में तकनीकी का उपयोग कर आगे बढ़ना ज़रूरी है जिससे एक तीर से दो शिकार होंगे पहला, हर हाथ को काम मिलेगा दूसरा बेरोज़गारी दूर होगी।
साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष की करें तो अब नीति निर्धारकों ने सही नस पकड़ ली है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि जनसांख्यकीय नियंत्रण, ज़बरन नसबंदी इत्यादि विषयों पर गंभीरता से शासन प्रशासन में चर्चा नहीं होती क्योंकि बात सबके समझ में आ गई है कि हमें जनसांख्यकीय तंत्र का लाभांश उठाकर ही भारत को विकास की ऊंचाइयों तक ले जाना है जिसमें महत्वपूर्ण अनिवार्य तड़का प्रौद्योगिकी, तकनीकी, डिजिटलाइजेशन का लगाना ज़रूरी है।
साथियों क्योंकि आज भी भारत के अनेक दूरदराज के अधिकांश गांवों में मानवीय हस्तशिल्प ही चल रहा है जिससे उनकी आजीविका नहीं चल पाती जिसे संज्ञान में लिया जाना तात्कालिक जरूरी है उन्हें तकनीकी नॉलेज, देकर हर व्यक्ति को अपने हुनर में तकनीकी उपयोग करने के लिए सहायता, सुविधा, जानकारी पहुंचाना ज़रूरी है जिसपर अभी सरकार सक्रियता से कार्य करने में भिड़ी हुई है जिसके लिए अब अलग से कौशलता विकास मंत्रालय बनाया गया है, हुनर हाट, कुछल तकनीकी आयोजन, तकनीकी प्रोत्साहन, अनेक आईआईटी और मेडिकल कॉलेजों को अनुमति, विशेष रूप से स्वयंम माननीय पीएम और अनेक केंद्रीय मंत्रियों द्वारा छात्रों से सीधासंवाद कर जनसांख्यकीय लाभांश में समृद्धि लाने तकनीकी के उपयोग का प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 13 फ़रवरी 2022 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की पीआईबी की करें तो केंद्रीय मंत्री द्वारा एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में भी कहा, एक समय था जब हमारी आबादी को अभिशाप माना जाता था, लेकिन पीएम ने उस पूरी सोच को हमारी युवा आबादी को हमारी सबसे बड़ी ताकत बताकर बदल दिया है।
हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश हमें विशाल अवसर देता है, देश के लिए एक बहुत ही उज्ज्वल भविष्य के द्वार खोलता है! और इसलिए हमें एक समग्र दृष्टि की आवश्यकता है जो सभी क्षेत्रों में विकास की कल्पना करता है, व्यापार करना आसान बनाता है। नवाचार, अनुसंधान, विकास, आधुनिकता को बढ़ावा देता है और फिर भी पारिवारिक मूल्यों, हमारी संस्कृति का सम्मान करता है। प्रत्येक नागरिक के जीवन को सुगमता बनाता है।
उन्होंने अपने संबोधन से पहले कहा कि जब तक आपके पास महत्वाकांक्षी लक्ष्य नहीं हैं, जब तक आप बड़े सपने नहीं देखते हैं, जब तक आपके पास बड़ी उम्मीदें, आकांक्षाएं, इच्छाएं नहीं हैं आप कभी भी महानता हासिल नहीं कर सकते।
भारत के स्वर्ण युग को उजागर करने के लिए आईआईटी छात्रों के लिए एक पांच सूत्रीय कार्य योजना रखी है-
1) अपने सभी नवोद्यमों में चोटी पर पहुंचने, गुणवत्ता और रोजगार सृजन को केंद्र बिंदु बनाएं2) किसानों, कारीगरों और बुनकरों, छोटे खुदरा विक्रेताओं आदि के लिए अभिनव समाधान प्रदान करें और दुनिया के लिए आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लक्ष्यों को साकार करने में मदद करें। 3) डिजिटल मंचों (जैसे सिंगल विंडो, पीएम गतिशक्ति, ओएनडीसी) का अध्ययन करें और सुविधाओं को बढ़ाने पर विचार दें 4) दिसंबर 22 में शुरू होने वाले भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के लिए कार्यसूची/विषय बनाने में मदद करें 5) सेवा और समर्पण को अपना मार्गदर्शक दर्शन बनाएं और इन्हें राष्ट्र की सेवा में लगाएं।
उन्होंने आयोजित नीति सम्मेलन 2022 को संबोधित करने के बाद छात्रों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि उदाहरण के लिए हम ओएनडीसी डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क क्यों बना रहे हैं? विचार यह है कि छोटे खुदरा विक्रेताओं को भी संरक्षित किया जाना चाहिए। हम बड़े ईकामर्स के साथ ठीक हैं जो देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं और अपने तरीके से काम कर रहे हैं। लेकिन क्या छोटे खुदरा विक्रेताओं को पश्चिमी दुनिया की तरह विलुप्त होने दिया जाना चाहिए, जहां मॉम एंड पॉप स्टोर लगभग खत्म हो गए हैं ऐसे में क्या हमें आजीविका की रक्षा नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत के दूर-दराज के कोने-कोने में समृद्धि लाने में तकनीकी बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि तकनीकी टेलीमेडिसिन के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल, एडटेक के माध्यम से शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं को लोकतंत्रात्मक बनाने में वास्तव में हमारी मदद कर सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 135 करोड़ नागरिकों के कल्याण के बारे में सोचते हुए हमें भारत @2047 के लिए एक स्वप्न दिया है, जिसे अमृत काल कहा जाता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हमें आजीविका की रक्षा करनी होगी।भारत के दूरदराज के कोने कोने में समृद्धि लाने, तकनीकी भूमिका बढ़ानी होगी तथा जनसांख्यकीय लाभांश को एक समग्र दृष्टि से देखने की आवश्यकता है।हर व्यक्ति को अपने हुनर में तकनीकी का उपयोग करना तात्कालिक ज़रूरी है।
-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र