मेरे किस्से -सतीश सम्यक
February 07, 2022 ・0 comments ・Topic: poem satish_samyak
मेरे किस्से- सतीश सम्यक

तुम्हें पता था
कि
मैं तुम्हें पसंद करता हूँ।
तभी तो तुम ,
मुझे जलाने की खातिर
नाम लिया करती थी उसका
तुम्हारे लब्बो पर
किसी गैर लड़के का नाम सुनकर
मुझे चढ़ने लगती थी,
झूंझ ।
उसका नाम तुम्हारे लब्बो से हटाने की खातिर
मेंने कई हूंदरों से पलटा बात को।
तुम्हें याद करवा
एक दिन तुम्हें मारा था उसने थप्पड़।
तुम गुस्से में गिनाने लगी उसकी कमीयां
दूसरी तरफ सुनाने लगी तुम्हारी सहेली
मेरे किस्से।
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.