गृहणी
February 24, 2022 ・0 comments ・Topic: Archana-lakhotiya poem
गृहणी
बहुत कड़वा है यह अनुभव, सोच और सच्चाई का।
दोष किसका है यहां पर, केवल अपने आप का।
सब को सुला कर सोना, सबसे पहले जागना।
सबको खुश रखना पर अपना ही ध्यान न रखना।।
सास ससुर पति और बच्चे बस परिवार को संभालना।
फरमाइशें पूरी करते,अपने अरमानों को कुचलना।
कर रही हूँ हद से बढ़ कर, नहीं है जिसका कोई मोल।
घर में उसको कौन चुका सकता , जो है पूर्णतः अनमोल।।
तभी तो कहा गया है
सम्पूर्ण गृह है जिसका ऋणी।
वही तो कहलाती है गृहणी।।
अर्चना लखोटिया कल्याण कॉलोनो केकड़ी
जिला अजमेर राजस्थान
पिन 305404
पिन 305404
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