पारंपरिक ऊर्जा का विकल्प गोबर धन

पारंपरिक ऊर्जा का विकल्प गोबर धन!

पारंपरिक ऊर्जा का विकल्प गोबर धन

विंड मिल,सौर ऊर्जा और जल प्रवाह से मिलती ऊर्जा आदि से बिजली प्राप्त की जा सकती हैं तो गोबर और गीले कचरें में से भी सीएनजी प्राप्त की जा सकती हैं उसका प्रत्यक्ष उदाहरण इंदौर का गोबर धन प्लांट हैं
प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने इंदौर में स्वच्छ ऊर्जा प्राप्ति हेतु इंदौर में बहुत ही बड़े बायो गैस प्लांट का वर्चुअल अनावरण किया।वैसे भी इंदौर स्वचछता के मामले में अग्रसर रहा हैं।इंदौर के लोगों के सहकार ने ही इंदौर को ये खिताब दिलाया हैं।जिन्होंने अथॉरिटी के साथ मिलके ये यश प्राप्ति की हैं जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि हैं।
घरों से निकला गिला कचरा
या गांवो से निकला गोबर आदि ही गोबर धन हैं जो स्वच्छ ऊर्जा दे प्रदूषण कम करने का काम करेगा।
इंदौर में 6 प्रकार के कचरों को अलग अलग कर कचरा निस्तरण करते हैं। जिसमें नागरिक प्रबंधन भी मुख्य रूप से दिखता हैं।गोबर धन से स्वच्छ ईंधन और स्वच्छ ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा मिलने वाली हैं।इस योजनाओं को विभिन्न राज्यों में भी अमल कर पर्यावरण का रक्षण करने में मदद मिलेगी।कचरे से कंचन बनाने का ये प्लांट जिसे बायो सीएनजी के साथ साथ टनों जैविक खाद भी मिलेगी जिससे जैविक खाद से जैविक खेती करने से धरती के पोषण मूल्यों का रक्षण होगा,जो रासायनिक खाद की वजह से नष्ट हो जाते हैं।देव गुड़रिया का कचरे का ढेर जो पहाड़ सा था आज खत्म हो गया हैं ।ऐसे कचरे के पहाड़ों से मुक्ति पाने में ये योजनाएं काफी उपयोगी होंगी।
वैसे ग्रामीण भारत में पशुओं की अपशिष्ट सहित भारी मात्रा में जैव अपशिष्ट उत्पन्न होता हैं।इसके अलावा रसोई के अवशेष,फसल के अवशेष,बाजार के अवशेष आदि काफी मात्रा में निकलता हैं। परली से होने वाले प्रदूषण और पॉलिटिक्स से भी निजात मिल जाएगी।
देश में पशुधन की गणना 2012 में हुई थी जिसमे 300 मिलियन गौवंशीय,65.07 मिलियन भेड़,135.2 मिलियन बकरियां,10. 3 मिलियन सूअरों की संख्या हैं।इन सा ही से उत्पन्न जैविक कचरे को बायो सीएनजी के उत्पाद में उपयोग किया जा सकता हैं।एक अनुमान के मुताबिक 100 मिलियन टन कचरा नष्ट करने के लिए खेतों में जलाया जाता जिससे बायो सीएनजी बनाके असुरक्षत तरीके से निपटारे से बचा जा सकता हैं।
बायो सीएनजी के प्लांट के प्रबंधन न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य लेकिन इथिनोल ईंधन के लिए,खाना पकाने के लिए गैस,प्रकाश के लिए बिजली का उत्पादन भी हो सकता हैं।इंदौर के बायो गैस प्लांट में उत्पादन शुरू हो गया हैं,पहले परीक्षण में 250 से 500 किलो बायो सीएनजी तैयार की गई हैं।ये एशिया का सब से बड़ा बायो कंप्रेस्ड नेचुरल गैस प्लांट हैं।इस प्लांट में गीले कचरे को प्रोसेस कर 1500 से 1700 किलो बायो सीएनजी का उत्पाद रोजाना शुरू हो जाएगा।इस प्लांट में 50 से 60 फीसद मिथेन गैस होगा।ऐसे प्लांट्स में हुए उत्पादों से नेचुरल गैस और तेल पर आधारित कम रहने से देश के फॉरेन एक्सचेंज की बचत होने से देश के अर्थतंत्र को सहारा मिलेगा।डेढ़ सो करोड़ की लागत से बने इस प्लांट में बनी बायो गैस से 400 जितनी सीएनजी बसें चल पाएगी जो अपनी सरकार का मुख्य ध्येय हैं। आजकल सभी शहरों में सिटी बस को सीएनजी से चलाने को प्राथमिकता दी जाती हैं।मार्केट मूल्य से 5 रूपिये कम लागत में उपलब्ध होगी ये गैस।साथ साथ खेतों को भी जैविक खाद उपलब्ध होगी।
ऐसे हो प्लांट्स और शहरों में भी बनने से देश में प्रदूषण की मात्रा कम होने के साथ साथ आर्थिक रूप से भी सद्धारता मिलेगी।

जयश्री बिरमी
अहमदाबाद

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