बसंत-अनिता शर्मा झाँसी

बसंत

बसंत-अनिता शर्मा झाँसी
बसंत की बहार आई ,रंगों की फुहार लाई।
चले आओ सजना घर के अंगना ।
रंगों संग उमंग लाई,चेहरों पर निखार लाई।
दिलों में उफान लाई,रंगीली छाई सब ओर।
मन चंचल बेचैन हुआ,भाव पर जोर नहीं है।
चारों ओर महकते पुष्प,ख्वाबों को बुन रहे ।
ऋतुराज बसंत आया, हर दिल में प्रेम लाया।
रंगों संग उमंग लाया,आओ सजना घर के अंगना।
फूलों की बहार छाई,हवाओं में सुगंध भरी।
भौरो का गुंजन गूँजा,तितली की उत्कंठाहै।
मनो में प्यार की खुशबू,रौशन हरेक आँगन।
मादकता मदहोश करती,साजन की बाँहो में।
प्रियतम की प्यारी बतिया,चाहे हरेक सखियां।
बसंत की बहार आई,रंगों की फुहार लाई।
चलो संवारे हर दिन खुशी से भर करके।

अनिता शर्मा झाँसी


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