भारतीय नारी अबला या सबला-अनिता शर्मा झाँसी
March 25, 2022 ・0 comments ・Topic: Anita_sharma poem
भारतीय नारी अबला या सबला
भारतीय संस्कृति की प्रतीक तूधन्य धन्य तू हे भारत की नारी ।
कब अबला थी ,त्याग की मूरत
दृढ़-निश्चयी ,सबला है तू नारी ।
धैर्य और संयम की सुन्दर मूरत
शिक्षित सुयोग्य धुरी घर की तू।
हर परिस्थिति में तटस्थ स्वयं तू
घर को खुशियों से भरती हो नारी।
बच्चों की हिम्मत तुम्हारे हौसले
दया सेवा की,ममता की मूरत हो।
घर-बाहर और शिक्षा दीक्षा प्रवीण
नारी तुम केवल सबला हो भारत की।
कर्म निष्ठ योगी सा जीवन जीती हो
सबके सुख की खातिर जीवन जीती हो।
भारतीय नारी सी विश्व में न निपुण नारी
त्याग तपस्या और बलिदान तुम्हारी शान।
सब्र विवेक से जीता दिल सबका
तुम घर घर की रौनक हो नारी ।
सीता सम सतीत्व तुम्हारा ही है
कौशल्या सा ममत्व धैर्य पाया है।
अनुसुइया ,उर्मिला सी भारतीय नारी
आज हर क्षेत्र में उच्चतम शिखर पर हैं।
हाँ वेशभूषा बदली कर्म क्षेत्र बदला है
दिल-हृदय में वही सहृदयता समाहित है
आज भारत की पहचान सबला है
सीमाओ की रक्षा में तैनात नारी है।
पायलट है नारी हवाओं में उड़ती है
राजकाज हो,अभिनय में नारी है।
शिक्षाविद् आफिसर्स भी सफर नारी
पर आखों में भरा शर्म इज्जत का पानी।
है भारतीयता का प्रतीक तू गर्विता नारी
मन से कोमल सहज-सरल भारत की नारी।
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