जीवन सुखों और दुखों का मेल है

कविता
जीवन सुखों और दुखों का मेल है

जीवन सुखों और दुखों का मेल है
जिंदगी सुखों और दुखों का मेल है
जिंदगी में उतार-चढ़ाव बस एक खेल है
जिस प्रकार दो पहियों से पटरी पर दौड़ती रेल है
बस उतार-चढ़ाव जिंदगी के खूबसूरत खेल है

घबरा जाए तो चुनौतियां से वह भी क्या इंसान है
जीना सिखा दे बुरे वक्त में वही असल इम्तिहान है
कभी ढेरों खुशियां कभी गम बेमिसाल है
इम्तिहानो से भरी जिंदगी यही खूबसूरत मिसाल है

जियो अगर दुख को खुशी से यह अनमोल है
दुख भी शर्मा जाएगा यह कैसा माहौल है
सिर्फ सुख या सिर्फ दुख ही जीवन मैं बेमेल है
जिंदगी में उतार-चढ़ाव बस यही तो खूबसूरत खेल है-3

-लेखक- कर विशेषज्ञ, स्तंभकार, साहित्यकार, कानूनी लेखक, 
चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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