कितना विरोधाभास है?- जितेन्द्र 'कबीर'
March 25, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
कितना विरोधाभास है?
कितना विरोधाभास हैइंसान की फितरत में भी,
अपनी हर मुसीबत में
ईश्वर का साथ पाने के लिए
प्रार्थना करेगा भी बहुत
और फिर उसके साथ जाने से
डरेगा भी बहुत।
कितना विरोधाभास है
इंसान की फितरत में भी,
ईश्वर के हाथ में है जीवन-मृत्यु,
दुनिया में इसका प्रवचन
करेगा भी बहुत
और मृत्यु का सामना करने से
टलेगा भी बहुत।
कितना विरोधाभास है
इंसान की फितरत में भी,
अपनी तरक्की के लिए
ईश्वर की पूजा ( खुशामद )
करेगा भी बहुत
और फिर जीवन में अपने
खुशामद की बुराई करेगा भी बहुत।
कितना विरोधाभास है
इंसान की फितरत में भी,
ईश्वर को चढ़ावा ( रिश्वत ) चढ़ाकर
अपनी खुशहाली की मंगल कामना
करेगा भी बहुत
और फिर जीवन में अपने
रिश्वत की बुराई करेगा भी बहुत।
कितना विरोधाभास है
इंसान की फितरत में भी,
अपना परलोक सुधारने को
ईश्वर के नाम पर दान-धर्म
करेगा भी बहुत
और अपने पड़ोसियों से
निज स्वार्थ खातिर लड़ेगा भी बहुत।
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