प्रचार से परे है सच्चाई- जितेन्द्र 'कबीर'
March 25, 2022 ・0 comments ・Topic: Jitendra_Kabir poem
प्रचार से परे है सच्चाई
कानून के राज कीडींग हांकी जा रही है आजकल बहुत,
लेकिन इस मामले में
हत्या, बलात्कार, दबंगई के पीड़ितों का पहले
लेना तुमको बयान होगा,
रत्ती भर भी जो संवेदनशीलता बची होगी
तुम लोगों में
ओ मेरे देश के कर्णधारो
तो यह कानून के राज वाला
चूर-चूर तुम्हारा अभिमान होगा।
आर्थिक उन्नति की
डींग हांकी जा रही है आजकल बहुत,
लेकिन इस मामले में
बेरोजगारी और काम-धंधे ठप्प होने के कारण
आत्महत्या करने वालों का पहले
लेना तुमको बयान होगा,
रत्ती भर भी जो शर्म बची होगी
तुम लोगों में
ओ मेरे देश के कर्णधारो
तो यह आर्थिक उन्नति वाला
चूर-चूर तुम्हारा अभिमान होगा।
देशभक्ति और राष्ट्र-सेवा की
डींग हांकी जा रही है आजकल बहुत,
लेकिन इस मामले में
देश में दिन-प्रतिदिन बिगड़ते
सांप्रदायिक सद्भाव का पहले
लेना तुमको संज्ञान होगा,
रत्ती भर भी जो इंसानियत बची होगी
तुम लोगों में
ओ मेरे देश के कर्णधारो
तो यह देशभक्ति वाला
चूर-चूर तुम्हारा अभिमान होगा।
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