हमारी आस्था, संस्कृति की धारा, सद्भाव, समभाव, समावेश की है

हमारी आस्था, संस्कृति की धारा, सद्भाव, समभाव, समावेश की है

हमारी आस्था, संस्कृति की धारा, सद्भाव, समभाव, समावेश की है
देश की बुनियादी नीव अमन चैन, सौहार्दपूर्ण वातावरण, भाईचारा तात्कालिक बनाए रखना वर्तमान समय की मांग

भारत की विविधता में एकता, सामाजिक उदारवाद, धर्मनिरपेक्षता बुनियादी नीव और वैश्विक प्रतिष्ठा की प्रतीक है, जिसे बनाए रखना हम सबका कर्तव्य - एड किशन भावनानी

गोंदिया - भारत अपनी बुनियादी नीव, एकता अखंडता सामाजिक उदारवाद, अलौकिक प्राकृतिक संसाधनों, धर्मनिरपेक्षता, अनेकता में एकता, सौहार्दपूर्ण वातावरण और शांतिप्रिय संस्कृति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। वैश्विक स्तर पर इन सभी खूबियों की चर्चा कर तारीफ़ और उदाहरण पेश किया जाता है जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से हम सुनते हुए देखते हैं, तो हम गर्व महसूस करते हैं कि हम ऐसे देश के नागरिक हैं जहां सभी जाति, धर्म, उपजाति, भाषाओं, उप भाषाओं के नागरिक खूबसूरती से एक साथ मिलजुल कर रह रहे हैं और देश के विकास में अपने अपने स्तर पर भरपूर योगदान दे रहे हैं। युवा राष्ट्र होने के नाते भारत अपने युवाओं, मूल्यवान संपत्तियों, संसाधनों, जग प्रसिद्ध बौद्धिक क्षमता का भरपूर उपयोग कर विश्व नेता बनने के सपने संजोए हुए हैं जिसके लिए विज़न 2047, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था सहित अनेक विज़न पर कार्य शुरू है।
साथियों परंतु पिछले कुछ दिनों, महीनों से हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से देश मैं कट्टरता, नफ़रत, बुलडोजर, हिजाब, पथरबाज़ी,लाउडस्पीकर, जुलूस पर पथराव, हेट स्पीच, धार्मिक बयानबाजी इत्यादि अनेक वाक्य टीवी चैनलों के माध्यम से, ग्राउंड रिपोर्टिंग के माध्यम से देख, सुन रहे हैं जिससे समाज को ऐसी क्षति होने की संभावना है जिसकी भरपाई करने में शायद हमारे समय, मूल्यवान संपत्ति, संसाधनों और युवा शक्ति का भारी नुकसान होने की संभावना से हम इनकार नहीं किया जा सकता जिसका उपयोग हम नए भारत के नए प्रस्तावित विजनों के लिए उपयोग कर रहे हैं।
साथियों बात अगर हम भारत देश की बुनियाद की करें तो अमन -चैन, सौहार्दपूर्ण वातावरण, भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता, त्योहारों के साझा उत्सव, विभिन्न अवस्थाओं में संबंधों के बीच अच्छे पड़ोसी वाले संबंध, युगों से हमारे समाज और देश के गौरव पूर्ण विशेषता रही है परंतु बीते कुछ दिनों से एक धार्मिक समुदाय के जुलूस पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात में पथराव और अब कल दिल्ली में भी एक अन्य धार्मिक जुलूस पर पथराव की घटना से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ संकीर्ण मानसिकता वाले तत्व, भारतीय समाज की नींव और राष्ट्रीयता की समग्र समावेशित समभाव विचारधारा, संस्कृति को कमजोर करने की पहल शुरू करने की तैयारियां हो रही है जिसे हम सब नागरिक एकता कर, आपसी भाईचारा कायम कर, विभिन्नता में एकता, सामाजिक उदारवाद, सौहार्दपूर्ण वातावरण तात्कालिक बनाए रखकर ऐसे तत्वों को पुरजोर जवाब देने के लिए सभी जाति, धर्म, समुदाय विशेष को एक साथ मिलकर उन तत्वों का मुकाबला कर भारत की गौरवशाली प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए तात्कालिक कदम उठाने होंगे जिससे आपसी विश्वास बिल्डिंग को मजबूत और अटूट बनाए रखा जा सकता है।
साथियों बातें कर हम 10 अप्रैल 2022 को मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में एक धार्मिक शोभायात्रा के अवसर पर हुई हिंसा का घाव अभी सूखा भी नहीं था कि राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी में दिनांक 16 अप्रैल 2022 शाम को धार्मिक शोभायात्रा यात्रा के अवसर पर टीवी चैनलों पर दिखाया गया जमकर हिंसा हुई। हिंसा और उपद्रव में कौन शामिल है, इसका पता नहीं चल पाया है. लेकिन राजधानी में तनाव पसर गया है।उपद्रवियों द्वारा कई गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी गई है और पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं. जिस समय धार्मिक पर्व पर शोभायात्रा निकाली जा रही थी, तब ये हिंसा शुरू हुई और देखते ही देखते कई गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस पर भी हमला किया गया ऐसा मीडिया में बताया गया।
साथियों बात अगर हम विपक्ष के 13 नेताओं के संयुक्त बयान की करें तो उन्होंने अपने संयुक्त बयान में देश में हुई हालिया सांप्रदायिक हिंसा और घृणापूर्ण भाषण संबंधी घटनाओं को लेकर गंभीर चिंता जतायी और लोगों से शांति एवं सद्भाव बनाए रखने की अपील की। इसके साथ ही विपक्षी नेताओं ने इन मुद्दों को लेकर पीएम की चुप्पी पर भी सवाल उठाया हैजिस पर सत्ताधारी प्रवक्ता द्वारा आक्षेप लिया गया ऐसा टीवी चैनलों पर दिखाया गया है।
साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा दिनांक 16 अप्रैल 2022 को एक प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा, हमारी सभ्यता और संस्कृति ने हजारों वर्षों के उतार -चढ़ाव के बावजूद भारत को स्थिर रखने में बड़ी भूमिका निभाई है। हमारी आस्था, हमारी संस्कृति की धारा सद्भाव की है, समभाव की है, समावेश की है। इसलिए जब बुराई पर अच्छाई को स्थापित करने की बात आई तो प्रभु राम ने सक्षम होते हुए भी, खुद से सब कुछ करने का सामर्थ्‍य होने के बावजूद भी उन्‍होंने सबका साथ लेने का, सबको जोड़ने का, समाज के हर तबके के लोगों को जोड़ने का, छोटे-बड़े जीवमात्र को, उनकी मदद लेने का और सबको जोड़ करके उन्‍होंने इस काम को संपन्न किया। और यही तो है सबका साथ, सबका प्रयास। ये सबका साथ, सबका प्रयास का उत्तम प्रमाण प्रभु राम की ये जीवन लीला भी है, जिसके हनुमान जी बहुत अहम सूत्र रहे हैं। सबका प्रयास की इसी भावना से आज़ादी के अमृतकाल को हमें उज्जवल करना है, राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए जुटना है।
उन्होंने बल देते हुए कहा कि यह हमारी आध्यात्मिक विरासत, संस्कृति और परंपरा की शक्ति है जिसने गुलामी के कठिन दौर में भी अलग-अलग हिस्सों को एकजुट रखा। इसके माध्यम से स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय प्रतिज्ञा के एकीकृत प्रयासों को मजबूत किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों वर्षों के उतार-चढ़ाव के बावजूद, हमारी सभ्यता और संस्कृति ने भारत को स्थिर रखने में बड़ी भूमिका निभाई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हमारी आस्था, संस्कृति की विचारधारा, सद्भाव, समभाव समावेश की है। देश की बुनियादी नीव, अमन-चैन, सौहार्दपूर्ण वातावरण, भाईचारा तात्कालिक बनाए रखना वर्तमान समय की मांग है। भारत की विविधता में एकता, सामाजिक उदारवाद, धर्मनिरपेक्षता, बुनियादी नीव और वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक है जिसे बनाए रखना हम सब का कर्तव्य हैं।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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