पीछे छूटा! -कविता
April 27, 2022 ・0 comments ・Topic: Dr_Madhvi_Borse poem
पीछे छूटा! -कविता
मुड़ कर ना देखो,
जो पीछे छूट गया,आगे बढ़कर लिखो,
अपना भविष्य नया!
कुछ छुटने का क्या पछतावा,
सब यहां हे अस्थाई,
किस बात का करे दावा,
जीवन में हर चीज पराई!
वर्तमान में जीना बेहतर,
जो चला गया वह चला गया,
क्यों पछताए भूत में रहकर,
स्वयं पर करें थोड़ी दया!
तनाव, परेशानी, दुख, दर्द,
जिंदगी के कुछ किस्से है,
वर्षा, बसंत, ग्रीष्म, सर्द,
ऋतु और मौसम के हिस्से हैं!
जब जीना हर हाल में है,
क्यों ना मुस्कुराते हुए जिए,
जब बदलाव हर साल में है,
क्यों ना रोशनी के जलाए दिए!
मजबूती से कदम बढ़ाए,
पीछे छूटा उसे भूलकर,
अपने साहस को हर दिन आजमाएं,
इस जिंदगी के झूले में झूल कर!
बीते हुए को बदल नहीं सकते,
वर्तमान के पलों में जीते जाए,
क्यों दर्द को ध्यान में रखते,
आने वाले भविष्य को उज्जवल बनाएं!
बीता हुआ कल रात का सपना,
रात के सपने को कौन याद रखें,
आज और अभी का पल है अपना,
क्यों ना इस अमूल्य पल को परखे!
कुछ छूटने से क्यों टूटे,
जो है उसका मूल्य पहचाने,
क्यों हम जिंदगी से रूठे,
जब जिंदगी का सत्य हम बेहतरीन जाने!
कोई जा रहा है उसे जाने दो,
कुछ छूट रहा है छुटने दो,
जो आपका है उसे आने दो,
स्वयं और सब के जीवन को सुलझने दो!!
डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
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