स्वाभिमान!

स्वाभिमान!

स्वाभिमान! स्वाभिमान!

सम्मान मांगो ना, कमाओ,
पैसे मांगो ना, कमाओ,
और कमाना कैसे हैं,
इस गौरवशाली जीवन में,
सीखो और सिखाओ!

खुद के हक का खाओ,
हाथ ना फैलाओ,
अपने स्वाभिमान को बचाओ,
ऊपर वाले पर भरोसा रखकर,
स्वयं के आत्मसम्मान को जगाओ!

अपनी भी कदर करो,
दूसरों पर ना निर्भर हो,
लाचारी जीवन में आने ना पाए,
यह खुशहाल और आजाद जीवन,
खुद्दारी के साथ बिताएं!

स्वयं के निर्णय पर करो यकीन,
अपनी जिंदगी के फैसले लो प्रतिदिन,
निर्णय बदल देता है जिंदगी का अंदाज,
यह दूसरों की नहीं तेरी जिंदगी है,
तुझ में भी है, ताक़त-ए-परवाज़!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)

राजस्थान (रावतभाटा)
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url