वीणा के सुर खामोश हो रहे

 वीणा के सुर खामोश हो रहे

वीणा के सुर खामोश हो रहे

मेरी तमन्नाओं के कातिल बता तूने हमें वफा क्यों न दी।।

कभी मांगा न कुछ तुझसे  , फिर भी सज़ा मैंने तुझे क्यों न  दी।।


अपनी सांसों के  हर  बंधन में  तुझे समाए थे हम

हर बंधन तोड़े तूने ,  फिर भी तुझे अब तक भुला क्यों न  दी।।


शायद मेरी इस रूह ने ,तुझे अपनी रूह में  बसाया था

मेरी वफ़ा के काबिल तू न था , ये खुद को मैं समझा क्यों न दी।।


याद आते अब भी तेरे संग गुज़ारे वो हर एक हसीन पल

आज भी उम्मीद लगाए बैठी , हर उम्मीद एक तोड़  क्यों न दी।।


तेरे सिवा कोई भी मेरे दिल को भाता नहीं सुन मेरे हमनवां 

तेरी राह तकती आज भी , तूने लौट  दिल पर दस्तक क्यों न दी।।


सोचती हूं कभी तो याद मेरी भी  , तुझे सच  सताती होगी

वीणा के सुर के मोती खामोश न हो जाएं , तुमने आवाज़ क्यों न दी।।


मेरी तमन्नाओं के कातिल बता तूने हमें वफा क्यों न दी।।२।।


वीना आडवाणी तन्वी

दर्द ए शायरा

नागपुर, महाराष्ट्र

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