मेरे घर कि चौखट आज भी खुली
April 27, 2022 ・0 comments ・Topic: poem Veena_advani
मेरे घर कि चौखट आज भी खुली
कभी तो तुम्हें भी मेरी याद आती ही होगी
कभी तो मेरी याद में आंसू बहाती ही होगी।
जब कभी तुम कहीं अकेले बैठती होगी
याद कर मेरी यादें उन्हें सजाती ही होगी।।
गैर नहीं था मैं तो कोई , सुन मेरी जिंदगानी
अपनी जिंदगी में , मेरी कमी कभी रुलाती ही होगी।।
चाहत मेरी तो रूह से थी सुन मेरे हमनवां
कभी मेरी चाहत कि यादें भी तुम्हें तड़पाती ही होगी।।
मेरी सांसों से तेरी सांसों के बंधन मिले थे इसकदर
आज भी मेरी सांसों कि महक तुझे आती ही होगी।।
तोड़के तुम गयी थी हर एक बंधन मुझसे दिलरुबा
कभी तो तुम दिलरुबा बंधन तोड़ पछताती ही होगी।।
कच्चे नहीं थे मेरे बंधन के धागे , रुह से बंधें हैं ये
मेरे घर कि चौखट आज भी खुली
यही तुम्हें मेरी यादें समझाती ही होगी।।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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