गरीबों का हक

गरीबों का हक

जयश्री बिरमी अहमदाबाद

आज कल एक वीडियो सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा हैं जिसमे योगिजी का नाम ले कर राशन कार्ड धारकों चेतावनी दी जा रही हैं कि अगर उनके पास चार पहियां वाहन हैं, पूरे परिवार की दो लाख से ज्यादा आमदनी है,आयकरदाता हैं, आई फोन हैं,करेंट बैंक खाता हैं,बुलेट मोटरसाइकिल हैं,100 वर्ग मीटर का अच्छी लोकेशन में मकान हैं,निजी दुकान हैं,दो एकड़ से ज्यादा जमीन हैं,पांच हॉर्स पावर का जेनरेटर लगा हैं,वकील हैं,विदेश में रहते हैं या सरकारी कर्मचारी हैं वे सभी व्यक्ति अपात्र की श्रेणी में आते हैं ऐसे व्यक्ति अपना राशन कार्ड जमा करवा दे वरना उनके राशन कार्ड की अवधि के बरसों का आज की तारीख तक 24 / kg गेहूं और 32/ kg चावल के हिसाब से पैसा वापस लिया जाएगा ,पैसे नहीं भर पाने की स्थिति में सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
ये संदेश सही हो या गलत वो नहीं पता लेकिन ये हो रहा हैं कि एकबार राशन कार्ड बन गया तो कोई भी उसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं चाहे वे आर्थिक उन्नति कर चुके हो,उनकी आय मर्यादा से ज्यादा हो गई हो।ऐसा होने से जिनको सहाय की ज्यादा जरूरत हैं उन्हें राशन काम मिल पाता हैं।जो वाकई में गरीब हैं ,मजदूर हैं उनको कम अनाज मिल पाएगा और जिनको जरूरत नहीं हैं वे फायदा उठा ले जायेगा।गरीब जो मजदूरी कर अपना गुजारा करतें हैं उन्हें जो मिलना चाहिए वही लोग ले जाते हैं जो पात्रता नहीं रखते हैं।
वैसे भी जो प्रवासी मजदूर हैं वे अपने गांवों को छोड़ दूसरे शहरों में जा बसतें है उनका राशन दूसरे लोग ही ले लेते हैं।अगर सरकार ने ओ टी पी का सिस्टम डाला हैं तो वे लोगों से सेटिंग कर लेते हैं और ph करके नंबर मांग के उनके हिस्से का राशन खुद ले लेते हैं और जब वे लोग मिलते हैं तो राशन आधा आधा कर बांट लेते हैं।
सुना था कि अब राशन कार्ड राष्ट्र व्यापी हो जायेगी तो राशन कार्ड का पूरे देश में प्रयोग हो सकेगा।अगर ऐसा होता हैं तो वाकई राशन कार्ड धारकों के लिए बहुत ही फायदेमंद होगा। उन गरीबों को अपना हक मिल जायेगा।
सरकारों का फर्ज हैं कि सबको अपने हिस्से का राशन आसानी से मिले और अगर ये जो संदेश सोशल मीडिया में घूम रहा हैं वह सही हैं तो ये सभी राज्यों में कार्यान्वित होना चाहिए ताकि जिनका हक हैं उन्हें ही राशन मिले।
पहले से फिर भी अच्छा हैं,तब तो राशन की दुकानें खुलती ही नहीं थी दुकान पर पहुंचने से पहले ही अनाज सामग्री का सीधा ही कारोबार हो जाता था,चाहे वह तेल हो,चावल या गेंहू हो।आशा करतें हैं कि सभी राज्यों की सरकारें इस मामले में सख्ती से कम लें और जरूरतमंदों को मदद करें।

जयश्री बिरमी
अहमदाबाद
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url