मदर अर्थ, पृथ्वी!

 मदर अर्थ, पृथ्वी!

डॉ. माध्वी बोरसे!
मैं हूं सौरमंडल की सबसे सुंदर ग्रह,
जहां जीव जंतु का जीवन है संभव,
निवास करती है मुझ में अनगिनत प्रजातियां,
करती हूं मैं सभी प्रकार की पोषण की उपलब्धियां!

29 प्रतिशत भाग हे मेरा भूमि,
71 प्रतिशत भाग हे मेरा पानी,
हरे भरे मैदान, जंगल और पर्वत मालाएं,
नदिया, समुंदर, बर्फ की चट्टाने मुझ में समाए,!

दिया तुमको जल, हवा और अन्न,
यह शुद्ध पवन और स्वच्छ वातावरण,
सौंदर्य से भरा हुआ अनुकूल पर्यावरण,
इसके बदले तुम क्यों फैला रहे मुझ में प्रदूषण?

मुझे कहते हो धरती मां और मदर अर्थ,
हर समय मुझ में असंतुलन बना कर, कर रहे हो अनर्थ,
मुझसे ही तो होता है तुम्हारा लालन पोषण,
तो फिर क्यों नहीं करते हो मेरा संरक्षण?

मुझ में है तुम सब का निवास,
स्वयं को और मुझे बचाने का करो प्रयास,
मुझे फिर से स्वच्छ और हरी भरी बनाओ,
जिम्मेदारी और जागरूकता को बढ़ाते जाओ!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा
)
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