बुढ़ापे की मुंडेर

 बुढ़ापे की मुंडेर

डॉ. इन्दु कुमारी
डॉ. इन्दु कुमारी

 जन्म लिए बचपन बीते

 खुशियों के होंठ खिले

 बचपन के छोटे पौधे

 फूल रूप में खिलने लगे

 मां गौरव से कहती

 पिता को अभिमान होता

 अब मेरे बच्चे देखते देखते 

जवानी की दहलीज पर बैठा 

माना 75 की उम्र में

25 वर्ष यूं ही गवाए 

बचा 50 वर्ष की आयु ,

अरमानों के दीपों को 

मूर्त रूप देना है 

जिंदगी के पल को 

प्रेम से सजाना 

.घर आवास बनाने में 

बीती जिंदगी खास 

जोड़ने में समय बीते 

आई बुढापे पास

 सरकती जीवन की गाड़ी 

बुढापे के मुंडेर पर लाई 

पता नहीं चला इतनी 

जल्दी सफर तय हो गई 

जिंदगी की मूल्य जब तक

 समझते बुढ़ापे की

 मुंडेर आ गई ।

     

हाथ मलने के सिवा

 कुछ साथ नहीं रहा 

पछताते पछताते 

जिंदगी की भोर हो गई।

 देखो मेरे भावी पीढ़ी 

बुढ़ापे को झकझोर गईl

          डॉ. इन्दु कुमारी मधेपुरा बिहार

Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url