जब तक है जिंदगी
June 24, 2022 ・0 comments ・Topic: poem sudhir_srivastava
जब तक है जिंदगी
जिंदगी जब तक है
गतिमान रहती है,
न ठहरती है,न विश्राम करती है।
सुख दुख ,ऊँच नीच की
गवाह बनती है।
जिंदगी के गतिशीलन में
राजा हो या रंक
सब एक जैसे ही हैं,
छोटे हों या बड़े किसी से भेद नहीं है।
जन्म से शुरू जिंदगी
मौत तक का सफर तय करती है
जब तक चलती है जिंदगी
अनेकों रंग दिखाती है,
कहीं जन्म की खुशियां
तो कहीं मौत का सेहरा सजाती है।
जिंदगी किसी के लिए रुकती नहीं
किसी के लिए हंसती या रोती नहीं है
जिंदगी जब तक है, चलती रहती है
मौत से पहले रुकती नहीं है
क्योंकि जिंदगी थकती नहीं है
जिंदगी जब तक है
अपने पथ पर चलती ही रहती है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित
२६.०४.२०२२
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