कहानी मोहपाश
June 24, 2022 ・0 comments ・Topic: Jayshree_birmi story
मोहपाश
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Jayshree birmi |
लेकिन इसी सहुलियतों ने उसकी आदतें खराब करके रख दी थी।उसे जिद्दी और अभिमानी बनके रख दिया था जिससे उसमें बदतमीजी आना तो आम बात थी।कॉलेज में भी बड़े गरूर से सर उठाके चलती थी किसी को भी कुछ भी कह देती थी।ऐसे में उसकी मुलाकात सुकांत से हो गई।ऊंचा,सुंदर व्यक्तित्व का धनी सुकांत सरल और पढ़ाई में अव्वल आने वालों में से था।प्रीति के मन को भी वह भा गया था।लेकिन अपने गरुर को छोड़ वह सामने से बुलाने से तो रही थी।लेकिन एक दिन ऐसा मौका आया कि कॉलेज का फंक्शन के इंतजामियां समिति में सुकांत के साथ उसे भी शामिल किया गया और वह खुश भी थी उसके साथ काम करके।उसी दरम्यान दोनों काफी नजदीक आएं और प्यार भी हो गया था आपस में ।मुलाकातें भी होने लगी तो दोनों ने एक दूसरे को पसंद भी कर लिया और घर वालों से बात करने की सोची।प्रीति को तो कोई चिंता नहीं थी पूरी पलटन थी उसको सपोर्ट देनेें के लिए।सुकांत को भी कोई दिक्कत नहीं थी घरवालों ने खुशी खुशी हामी भरदी।दोनों का स्नातक का इम्तहान होते ही सगाई की गई और कुछ दिनों में ही शादी भी हो गई।बिदाई के समय तो सारे बहुत उदास हो गएं थे लेकिन बुआजी का तो रोना रुक ही नहीं रहा था। विदा हो के वह सुकांत के घर आ ही गई।दोनों हनीमून हो कर घर आ गाएं और सुकांत अपने पापा के साथ दफ्तर जाने लगा और प्रीति अपनी सास के साथ रसोई में मदद करने लगी।वैसे खाना बनाने बाई आती थी किंतु उसकी सास सिर्फ उससे मदद ही ले सारा खाना अपने हाथ से बनाती थी।प्रीति का कहना था कि जब बाई आती हैं तो वे दोनों क्यों काम करती थी।उसने अपनी सास को बहुत समझाया लेकिन उसे बाई के हाथ पूरी रसोई सौंपना मंजूर नहीं था।
कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा लेकिन अब दोनों में मतभेद बढ़ने लगे।और एक समय आया कि इसी बातों में उसकी सुकांत से भी मतभेद होते होते बड़ी लड़ाइयां भी होने लगी और एकदीन बात इतनी बढ़ गई कि वह समान के मायके पहुंच गई।
उसकी गलती बगैर सुकांत को मिली सजा से वह भी दुखी और नाराज रहने लगा था।दोनों के परिवार जनों के द्वारा बहुत कोशिशें की गई लेकिन सुलह नहीं करवा पाएं,और तलाक हो के ही रहे।
अब अकेली हो गई तो प्रीति ने नौकरी ले ली ताकि वह व्यस्त रह कर अपने गमों को भुला सके।दफ्तर में उसके साथ मानव काम करता था,सुंदर और थोड़ा आकर्षक भी था तो प्रीति का घायल मन सुकांत को भुलाने के लिए पहले दोस्ती हुई और फिर प्यार भी हो गया।वह उसके पूछे पागल थी तो मानव भी उससे बहुत प्यार के वादे करता था।एक दिन उसने उससे शादी की बात की तो वह थोड़ा टालने लगा।लेकिन प्रीति थी कि उसी के पीछे पड़ गई थी।कुछ दिन छुट्टी ले मानव दफ्तर नहीं आ रहा था तो उससे रहा नहीं गया तो उसने उसके घर जाने की ठानी।उसका पता दफ्तर से लिया और उसके घर पहुंची तो वहां तो बड़े ताम जाम से अपनी पत्नी के साथ गलें में फूलों के हार पहनकर पीछे दीवार पर लगे
’ शादी की पांचवी सालगिरह मुबारक’ वाले वॉल माउंट के आगे हंस हंस कर सुंदर सी,सजी धजी बीवी से प्यार से बातें कर रहा था।प्रीति को पहले तो हुआ कि सामने जा कर भांडा फोड़ दे फिर सोचा वहां बेइज्जती के अलावा कुछ हासिल नहीं होने वाला,तो उल्टे पैर वापस आई और अपने कमरे में जा कर औंधे मुंह अपने बेड पर जा गिरी और जी भर के रोई लेकिन एक बात थी कि वह उसके मोहपाश से निकल कर अपने आप को हलका महसूस कर रही थी।
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद
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