नीली अर्थव्यवस्था

नीली अर्थव्यवस्था

हितधारकों के परामर्श के लिए भारतीय बंदरगाह विधेयक 2022 का मसौदा जारी - आपत्तियां आक्षेप 30 अगस्त तक दर्ज कर सकेंगे
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वस्थ, बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए बंदरगाह विधेयक 2022 महत्वपूर्ण - एड किशन भावनानी
गोंदिया - नए भारत के इतिहास की गाथा के स्वर्णिम अध्याय में एक अध्याय को रेखांकित करना होगा कि पिछली सरकारों ने 65 वर्षों में सिर्फ 1301 पुराने अधिनियमों को समाप्त किया था जबकि वर्तमान सरकार ने सत्ता संभालने के 3 वर्षों में ही 1200 से अधिक पुरानें कानून समाप्त किए हैं तथा 1824 अप्रचलित केंद्रीय अधिनियमों को पुनर्विचार के लिए चिन्हित किया गया है जो काबिले तारीफ है और यह प्रथा रुकी नहीं है लगातार पुराने कानूनों को संशोधित, समाप्त करने की प्रक्रिया हर सत्र में हमें देखने को मिलता है ऐसा ऐसी जानकारी मीडिया में शोध से उपलब्ध हुई है। यह चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं कि दिनांक 18 अगस्त 2022 को ऐसे हितधारकों से परामर्श के लिए भारतीय बंदरगाह विधेयक 2022 जारी किया गया है जिसे 30 अगस्त 2022 तक अपने परामर्श दाखिल करने हैं इसके कानून बनने से नीली अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस विषय पर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम नीली अर्थव्यवस्था की करें तो इसका अर्थ है आर्थिक विकास, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग। यह समुद्र के स्वास्थ्य और उच्च उत्पादकता के संरक्षण के लिए महासागर विकास रणनीतियों को हरा-भरा करने का प्रावधान करता है।
साथियों बात अगर हम बंदरगाह अधिनियम 1908 की करें तो भारतीय बंदरगाह कानून 1908, 110 वर्ष से अधिक पुराना है। यह अनिवार्य हो गया है किकानून को वर्तमान ढांचे को प्रतिबिंबित करने, भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को शामिल करने, उभरती पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करने और राष्ट्रीय हित में बंदरगाह क्षेत्र के परामर्शी विकास में सहायता करने के लिए संशोधित किया जाए। इसलिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय बंदरगाह विधेयक के संशोधित मसौदे पर अंशधारकों की राय मांगी है। मंत्रालय ने 30 अगस्त तक टिप्पणियां देने को कहा है।यह प्रस्तावित विधेयक अनावश्यक देरी और जिम्मेदारियों को परिभाषित कर कारोबार सुगमता को बढ़ावा देगा। इसमें समुद्री क्षेत्र के विकास को एक समान और सुव्यवस्थित करना का भी प्रस्ताव है। मीडिया के अनुसार एक बयान में कहा कि प्रस्तावित विधेयक में राज्य के समुद्री बोर्डों को राष्ट्रीय ढांचे में शामिल किया जाएगा।
साथियों बात अगर हमअंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्ग पर संपन्नता और सामरिक ठिकानों की करें तो पीआईबी के अनुसार, भारत में 7,500 किमी लंबी तटरेखा, जहाजों के चलने योग्‍य 14,500 कि.मी. संभावित जलमार्ग और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार मार्गों पर सामरिक ठिकाने हैं। मात्रा के हिसाब से भारत का लगभग 95 प्रतिशत व्यापार और मूल्‍य के हिसाब से 65 प्रतिशत बंदरगाहों द्वारा सुगम समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की सागरमाला परियोजना के तत्‍वावधान में बंदरगाह आधारित विकास की अनेक पहलों की पहचान की गई और उन्‍हें शुरू किया गया है। बंदरगाहों में चल रहे विकास और प्रतिबद्ध निवेश (सार्वजनिक और निजी) को लगातार बढ़ती सुरक्षा, रक्षा और पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर गहन ध्यान देने के साथ वैज्ञानिक और परामर्शी योजना द्वारा सहायता की आवश्यकता है।
तदनुसार, समुद्री संधियों और अंतरराष्ट्रीय साधनों, जिनमें भारत एक पक्ष है; के तहत देश के दायित्वों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, बंदरगाहों पर प्रदूषण की रोकथाम औरनियंत्रण के लिए बंदरगाहों से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करने के लिए भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2022 (आईपी विधेयक 2022) का मसौदा तैयार किया गया है उपकरण बंदरगाहों के संरक्षण के लिए उपाय करने; भारत में गैर-प्रमुख बंदरगाहों के प्रभावी प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त बनाना और स्थापित करना; बंदरगाह संबंधी विवादों के निपटारे के लिए निर्णायक तंत्र प्रदान करना और बंदरगाह क्षेत्र की संरचनात्‍मक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय परिषद की स्थापना करना, जैसा आवश्यक हो, तथा सहायक और प्रासंगिक या उससे जुड़े मामलों के लिए भारत के समुद्र तट का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना।
विधेयक के पहले के तीन संस्करण मंत्रालय ने प्रमुख बंदरगाहों, राज्य सरकारों, राज्य सरकारों, राज्‍य समुद्री बोर्डों और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच प्रसारित किया था। आईपी बिल, 2022 का मसौदा प्राप्त सभी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
मसौदा आईपी विधेयक 2022 मौजूदा 1908 कानून को निरस्त करेगा और उसका स्‍थान लेगा। प्रस्‍तावित विधेयक के उद्देश्‍य इस प्रकार हैं-(1) विशुद्ध रूप से परामर्शी और अनुशंसात्मक ढांचे के माध्यम से आपस में राज्यों और केन्‍द्र-राज्यों के बीचएकीकृत योजना को बढ़ावा देना (2) अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारत के दायित्वों को शामिल करते हुए भारत में सभी बंदरगाहों के लिए प्रदूषण उपायों की रोकथाम सुनिश्चित करना(3)बढ़ते बंदरगाह क्षेत्र के लिए आवश्यक विवाद समाधान ढांचे में कमियों को दूर करना-4)डेटा के उपयोग के माध्यम से विकास और अन्य पहलुओं में पारदर्शिता और सहयोग की शुरूआत।प्रस्तावित विधेयक समुद्री क्षेत्र के विकास को एक समान और सुव्यवस्थित करेगा, साथ ही अनावश्यक देरी, असहमति और जिम्मेदारियों को परिभाषित करके व्यापार में सुगमता को बढ़ावा देगा। यह राष्ट्रीय ढांचे में राज्य समुद्री बोर्डों को शामिल करेगा। इसके अतिरिक्त, समुद्री राज्य विकास परिषद सहकारी संघवाद सुनिश्चित करेगा जहां केन्‍द्र और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारें देश के लिए एक प्रगतिशील रोड मैप तैयार करने की दिशा में मिलकर काम करेंगी। कानून के अनावश्यक प्रावधानों को हटा दिया गया है या समसामयिक प्रावधानों के साथ बदल दिया गया है। इसके अलावा, कानून में मौजूदा दंड जो पुराने हैं, वर्तमान समय के परिदृश्य से संबंधित रकम और अपराधों के संबंध में उनमें सुधार किया गया है।मंत्रालय सभी हितधारकों से आईपी विधेयक 2022 के मसौदे पर प्रतिक्रिया और सुझाव लेना चाहता है। दस्तावेज़ को एमओपीएसडब्‍ल्‍यू और सागरमाला की वेबसाइटों से लिंक पर देखा जा सकता है। और सुझाव भेजे जा सकते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नीली अर्थव्यवस्था हेतुहितधारकों के परामर्श के लिए भारतीय बंदरगाह विधेयक 2022 का मसौदा जारी किया गया है जिसपर आपत्तियां आक्षेप 30 अगस्त तक दर्ज कर सकते हैं।समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य,बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए बंदरगाह विधेयक 2022 महत्वपूर्ण है

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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