आओ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा सर्वेक्षण में भाग लें

आओ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा सर्वेक्षण में भाग लें


हमारी अगली पीढ़ियों में गर्व की गहरी भावना पैदा करने एक जीवंत सशक्त समावेशी और भविष्यवादी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा समय की मांग

न्यू इंडिया के लिए पाठ्यक्रम तैयारी के सर्वेक्षण में सभी नागरिकों का भाग लेना मील का पत्थर साबित होगा - एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज पूरी दुनिया बेरोजगारी रूपी दीमक से खोखली होने की ओर अग्रसर है जिसे पाटने के लिए इस दीमक के इलाज के लिए हर देश नीतियां रणनीतियां बनाकर अपने देश को नई दिशा देने के लिए तत्पर हैं।
साथियों बात अगर हम भारत की करें तो जब देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे, यानी आजादी के अमृत काल तक भारतीय शिक्षा नीति सारी दुनिया को दिशा देने वाली होना चाहिए। अमृत काल में हिंदुस्तान की शिक्षा नीति की विश्व प्रशंसा करे, यहां ज्ञान लेने आएं, ऐसा हमारा गौरव हों, विश्व कल्याण की भूमिका निर्वहन करने में भारत समर्थ हो,।भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की घोषणा की थी जो राष्ट्रीय पर चर्चा की रूपरेखा में सुधार की सिफारिश करती है।हम अगर गहराई और सटीकता से इसका अध्ययन करेंतो बेरोजगारी से लड़ने और कौशलता विकास रूपी अस्त्र को तेजधार देने के लिए इस एनपीए में विशेष प्रावधान है और समय-समय पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा बनाकर उसे सामायिक परिवेश में लागू कर ज्ञान की गंगा को सही दिशा में बहाने और उसके सटीक लाभो को नागरिकों तकपहुंचाने समृद्ध जीवन बनाने में सक्षम करने का प्रावधान है जिसके तहत, जिला परामर्श समितियों, राज्य फोकस समूहों और राज्य संचालन समिति, राष्ट्रीय फोकस समूहों और राष्ट्रीय संचालन समिति आदि के गठन के माध्यम से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा की प्रक्रिया शुरू की गई है।साथियों शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने और बाद में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और अन्य शिक्षण सामग्री के डिजाइन के लिए एक ऑनलाइन सार्वजनिक परामर्श सर्वेक्षण के माध्यम से जनता के सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस पाठ्यचर्या की रूपरेखा पर चर्चा करेंगे आओ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा सर्वेक्षण में भाग लें।
साथियों बात अगर हम नया पाठ्यक्रम विकसित करने रूपरेखा पर नागरिक सर्वेक्षण की बातकरें तो एक तकनीकी मंच-वेबसाइट और मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, ताकि बड़े पैमाने पर और कागज रहित तरीके से कार्य का निष्पादन करना संभव हो सके।माता-पिता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, शिक्षक-अध्यापक जैसेहितधारकों तक पहुंचने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बॉटम -अप दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, राज्य फोकस समूहों और राज्य संचालन समिति के माध्यम से जिला स्तरीय परामर्श,मोबाइल ऐप-आधारित सर्वेक्षण, राज्य स्तरीय विचार-विमर्श आयोजित किए गए हैं। शिक्षक, छात्र, आदि जमीनी स्तर पर और स्कूलीशिक्षा के भविष्य, बचपन की देखभाल और शिक्षा, शिक्षक शिक्षा और वयस्क शिक्षा के बारे में अपने विचार और राय एकत्रित करते हैं।
साथियों शिक्षकों,प्रधानाध्यापकों/ प्राचार्यों, स्कूल संचालकों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, छात्रों, समुदाय के सदस्यों, गैर-सरकारी संगठनों,विशेषज्ञोंजनप्रतिनिधियों, कलाकारों, कारीगरों, किसानों और स्कूली शिक्षा और शिक्षक शिक्षा में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति सहित सभी हितधारकों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। यह ऑनलाइन सर्वेक्षण हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची की भाषाओं सहित 23 भाषाओं में किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्रीय फोकस समूहों और राष्ट्रीय संचालन समिति को विभिन्न मुद्दों व चिंताओं पर विचार विमर्श करने के लिए लगाया गया है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, स्वायत्त निकायों, गैर-सरकारी संगठनों, कंपनियों, परोपकारी एजेंसियों आदि के साथ बातचीत शामिल है,ताकि एनसीएफ की फॉर्मूलेशन के लिए मूल्यवान इनपुट एकत्रित किया जा सके। इस प्रक्रिया में हितधारकों का मार्गदर्शन करने के लिए एनसीएफ के निर्माण के लिए एक शासनादेश दस्तावेज विकसित किया गया है।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय शिक्षा मंत्री के आग्रह की करें तो उनके एक ट्वीट के अनुसार एक नया पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखाके लिए नागरिक सर्वेक्षण में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के अनुरूप एक सशक्त राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि एक जीवंत, सशक्त, समावेशी और भविष्यवादी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विकास वैश्विक दृष्टिकोण के साथ समन्वित सांस्कृतिक सुदृढ़ता सहित, शिक्षा को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने और हमारी अगली पीढ़ियों में गर्व की गहरी भावना पैदा करने के लिए आवश्यक है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा सर्वेक्षण में भाग लें। हमारी अगली पीढ़ियों में गर्व की गहरी भावना पैदा करने एक जीवंत सशक्त समावेशी और भविष्यवादी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा समय की मांग है। न्यू इंडिया के लिए पाठ्यक्रम तैयारी के सर्वेक्षण में सभी नागरिकों का भाग लेना मील का पत्थर साबित होगा।

About author

Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url