देशप्रेम की अलख जगाओ

"देशप्रेम की अलख जगाओ"

"हाथ में तिरंगा उठाकर धर्म की धुरी पर तू चलता जा, ए भारत के वासी खुद के भीतर अलख जगा देशप्रेम की, मानवता की, अपनेपन की ज्योत जला"
कैसी विडम्बना है, कैसी मानसिकता है हमारी। कुछ सालों पहले जब प्रधानमंत्री के पद पर विराजमान मनमोहन सिंह जी कुछ नहीं बोलते थे, हर प्रताड़ना चुपचाप सह जाते थे, आतंकवाद के आगे झुक जाते थे तब भी जनता को प्रोब्लम थी। आज उन सारे मुद्दों पर मोदी जी दहाड़ रहे है तब भी प्रोब्लम है। तय कर लो देशवासियों आख़िर आप चाहते क्या हो?
क्या चाहते है देश के प्रधानमंत्री? देश के प्रति सुस्ताए पड़ी संवेदना को जगाना, और सनातन धर्म को परिभाषित करना तो क्या गलत कर रहे है। आज़ादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में, हर घर तिरंगा आयोजन के विरोध में लोग चाहे कुछ भी कहे, प्रधानमंत्री मोदी जी जनता को जो छोटे-छोटे टास्क देते रहते है, वो सारी गतिविधियाँ जन-जन में देशप्रेम, धार्मिक भावना, उत्साह और उमंग भर देती है।
हर घर तिरंगा अभियान ने आज भावुक कर दिया। आसपास के हर घर पर शान से लहरा रहे तिरंगे को देख, आँखों को सुकून मिला। रास्ते पर हर आने-जाने वाले के वाहनों पर छोटे-मोटे तिरंगे को देख, आँखें नम हो गई और दिल में देशभक्ति का जज़बा जगा।
उपर से फेसबुक-वोटसएप पर भी लगभग हर मेम्बर्स ने, अपनी तस्वीर की जगह तिरंगे को स्थान देकर, तिरंगे का जो सम्मान बढ़ाया वो काबिले तारीफ है। मेरा देश बदल रहा है, मेरा देश उपर उठ रहा है, मेरा देश एक हो रहा है बस इन दिनों यही फीलिंग्स हर एक मन में उर्जा भर रही है।
विपक्षियों को भले ये सारे मौजूदा सरकार के चोंचले लगे। सोशल मीडिया पर जो लोगों का देशव्यापी देशप्रेम और धर्म के प्रति जागरूकता दिख रही है, उसका पूरा श्रेय मोदी जी को जाता है। एक समय था जब, लोग किसी भी अत्याचार का विरोध करने से डरते थे। पाकिस्तान जैसा टुच्चा देश, खुलेआम देश में घुसकर बम धमाके करके निकल जाता था। आज उसी पाकिस्तान के भीतर भारत को लेकर एक ख़ौफ़ पनप रहा है। 8 साल पहले कोई नहीं पूछता था, भारत विश्व नक्शे में औंधे मुँह पड़ा था। आज लगभग हर देश भारत के कँधे से कँधा मिलाकर खड़ा है, देश के लिए ये प्रगति गर्व की बात है।
बाकी बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार 135 करोड़ की आबादी वाले देश में सालों से चली आ रही है। न पहले की सरकार काबू कर पाई न मौजूदा सरकार। और आगे भी अगर किसी ओर सरकार को चुनेंते तब भी ये मसला ज्यों का त्यों ही रहेगा। कोई सरकार पैसों की फैक्ट्री नहीं खोल सकती की चलो धड़ा-धड़ नोट छाप दो हर एक नागरिक में बाँट दी और महंगाई ख़त्म। क्यूँकि एक हमारा देश ही नहीं, पूरी दुनिया के सारे देश इन सारे मुद्दों से जूझ रहे है। ऐसे में पाकिस्तान, श्रीलंका और अफ़गानिस्तान जैसे देशों के मुकाबले हमारे देश के हालात बेहतर और बेहतरीन है।
पर फिर भी लोगों को देश की शांति और अखंडता से ज़्यादा इन सारे मुद्दों की ही पड़ी है। सरकार हाथ पर हाथ धरे तो नहीं बैठी, अपनी तरफ़ से देश को उपर उठाने की भरपूर कोशिश कर रही है। पर लोगों की मानसिकता धैर्य खो रही है। लोगों को प्रधानमंत्री नहीं, जादुई चिराग चाहिए, जो खुल जा सिमसिम कहे और लोगों की हर जरूरतें पूरी हो जाए। मुफ़्त में घर बैठे राशन पहुँच जाए, काबिलियत हो न हो नौकरी मिल जाए। अरे भै आप भी तो कुछ बनकर दिखाओ, देश के प्रति अपना योगदान दो तभी देश उपर उठेगा। जात-पात धर्म से उपर उठकर, आपसी विग्रह छोड़कर जब एक-एक नागरिक देश की प्रगति के लिए अपना योगदान देगा तभी देश में विकास दिखेगा। विकास के साथ-साथ देश के हर नागरिक में सनातन धर्म को बचाने के लिए धार्मिक भावना और देशप्रेम जगाना भी उतना ही आवश्यक है। यही छोटी-छोटी कोशिश जन-जन को एकसूत्र में बाँधती है।

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Bhawna thaker

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु
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