भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा 

भारत भाग्य विधाता - किसी भी राष्ट्र का ध्वज अभिव्यक्ति और आजादी का प्रतीक होता है 

तीन दिवसीय हर घर तिरंगा के जश्न में हृदय की गहराइयों से डूबा हर नागरिक - एक दिन पहले से ही भारत की गाथा शुरुआत से इतिहास रचा जाएगा - एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया -  पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। हमारे देश में 35 वर्ष तक की उम्र के 65 करोड युवा हैं इसलिए हम भारत की जन जनसंख्यकिया तंत्र की ताकत का अंदाजा लगासकते हैं, क्योंकि हमारे इन युवाओं में देशभक्ति राष्ट्रभक्ति की जांबाज़ी और जज्बे का जुनून है भरा है जिसने नहीं देखा हो तो वह आज भारत के तिरंगा में जुनून और हर घर तिरंगा के जश्न में देख और महसूस कर सकते हैं कि आज भारत महाबली है 

साथियों बात अगर हम दिनांक 12 अगस्त 2022 को टीवी चैनलों पर कश्मीर के कुपवाड़ा श्रीनगर इत्यादि शहरों में स्टेडियम पर तिरंगा महोत्सव, जवानों द्वारा बाइक तिरंगा रैली और कश्मीरी छात्र छात्राओं द्वारा तिरंगा जुलूस निकाल कर देशभक्ति के नारों से सारे भारत को गौरव में कर दिया  हमारे हर भारतवासी गर्व महसूस कर रहे हैं क्योंकि दशकों बाद यह स्थिति वहां टीवी चैनलों केमाध्यम से देखने को मिली।

साथियों बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृति बांग्ला मिश्रित भाषा में 1882 में प्रकाशित गीत वंदे मातरम, मेरे देश की धरती सोना उगले, यह देश है वीर जवानों का इत्यादि अनेक गीत हमने कई बार सुने हैं पर इनको आंखों देखी गाथा आज तीन दिवसीय हर घर तिरंगा के जश्न में हृदय की गहराइयों से डूबे हर नागरिक महसूस कर रहे होंगे और भारत भाग्य विधाता भारत का राष्ट्रीय ध्वज अभिव्यक्ति और आजादी का प्रतीक को हर युवा महसूस कर रहे हैं इन लम्हों में दर्ज़ इतिहास को हमारे युवा साथी इतिहास के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित करते रहेंगे क्योंकि आज चहुंओर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का जश्न मना रहे हैं इसलिए 15 अगस्त 2022 के उपलक्ष में आर्टिकल के माध्यम से हम हमारे राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास और भारत की गाथा पर चर्चा करेंगे चूंकि आज हर भारतीय के लिए 

जानना जरूरी है भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को 

साथियों बात अगर हम भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय ध्वज में शीर्ष बैंड भगवा रंग का है, जो देश की ताकत और साहस को दर्शाता है। सफेद मध्य बैंड धर्म चक्र के साथ शांति और सच्चाई का संकेत देता है।आखिरी पट्टी हरे रंग की होती है जो भूमि की उर्वरता, वृद्धि और शुभता को दर्शाती है।1904 में विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने पहली बार ध्वज बनाया था, जिसे निवेदिता ध्वज कहा जाता था। पीएम की अपील के तहत हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। लोगों से तिरंगा फहराने की अपील की जा रही है। लेकिन इस तिरंगे के पीछे की कहानी बहुत लंबी है। बीते 116 सालों में देश में छह बार झंडा बदला गया है। आजादी की वर्षगांठ पर हमें यह जानना बेहद जरूरी है कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज की इस यात्रा में क्या-क्या अहम पड़ाव रहे और कब-कब क्या- क्या बदलाव हुए। आखिरी बदलाव 1947 में हुआ था  

भारत की आजादी की लड़ाई जैसे-जैसे तेज होती जा रही थी, क्रांतिकारी दल अपने-अपने स्तर पर स्वतंत्र राष्ट्र की अलग पहचान के लिए अपना झंडा प्रस्तावित कर रहे थे। देश में पहला झंडा 1906 में सामने आया। सात अगस्त, 1906 को पारसी बागान चौक, कलकत्ता में फहराया गया था। इस झंडे में तीन रंग की पटि्टयां थीं। इनमें सबसे ऊपर हरे रंग, मध्य में पीले रंग और नीचे लाल रंग की पट्टियां थीं। इसमें ऊपर की पट्टी में आठ कमल के फूल थे, जिनका रंग सफेद था। बीच की पीली पट्टी में नीले रंग से वन्दे मातरम् लिखा हुआ था। इसके अलावा सबसे नीचे वाली लाल रंग की पट्टी में सफेद रंग से चांद और सूरज भी बने थे। 

साथियों पहले ध्वज को मिले हुए एक साल ही हुआ होगा कि देश को दूसरा झंडा मिल गया। पहले पहले झंडे में कुछ बदलाव करके मैडम भीकाजीकामा और उनके कुछ क्रांतिकारी साथियों जिन्हें निर्वासित कर दिया गया था, ने मिलकर पेरिस में भारत का नया झंडा फहराया था। यह झंडा भी देखने में काफी हद तक पहले जैसा ही था। इसमें केसरिया, पीला और हरे रंग की पट्टियां थी। बीच में वन्दे मातरम् लिखा था। वहीं, इसमें चांद और सूरज के सात आठ सितारे बने थे।इसके बाद 1917 में एक और नया झंडा सामने आया। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने एक नया झंडा फहराया। इस नए झंडे में पांच लाल और चार हरे रंग की पट्टियां थी। झंडे के अंत की ओर काले रंग में त्रिकोणनुमा आकृति बनी थी। बाएं तरफ के कोने में यूनियन जैक भी था। जबकि एक चांद तारे के साथ इसमें सप्तऋषि को दर्शाते सात तारे भी थे।इसके एक दशक बाद 1921 में ही भारत को अपना चौथा झंडा भी मिल गया। साथियों भारत का झंडा 1931 में एक बार फिर से बदला गया। इस झंडे को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर अपनाया था। इस झंडे में सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और अंतिम में हरे रंग की पट्टी बनाई गई। इसमें छोटे आकार पूरा चरखा बीच की सफेद पट्टी रखी गई थी। सफेद पट्टी में चरखा राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक है।

तमाम प्रयासों के बाद जब 1947 में आखिरकार देश आजाद हुआ तो देश को तिरंगा झंडा मिला। 1931 में बने झंडे को ही एक बदलाव के साथ 22 जुलाई, 1947 में संविधान सभा की बैठक में भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया। इस ध्वज में चरखे की जगह सम्राट अशोक के धर्म चक्र को गहरे नीले रंग में दिखाया गया है। 24 तीलियों वाले चक्र को विधि का चक्र भी कहते हैं। इसे पिंगली वैंकेया ने तैयार किया था। इसमें ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग की पट्टी है। तीनों समानुपात में है। इसकी लंबाई - चौड़ाई दो बाय तीन है। हर देश का अपना झंडा होता है। भारतीय ध्वज को तिरंगा कहा जाता है क्योंकि इसमें तीन रंगों का इस्तेमाल किया गया है- केसरिया, सफेद और हरा हालांकि भारत में शुरू से यही झंडा नहीं फहराया जाता था. इससे पहले इसका डिज़ाइन दूसरा था। 

साथियों बात अगर हम तिरंगे के संबंध में नियमों विनियमों की करें तो चूंकि 15 अगस्त 2022 तक हर घर तिरंगा अभियान चल रहा है इसलिए हमें राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की गरिमा का ध्यान भी रखना होगा इसलिए नियमों का पालन करना जरूरी है(1)किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए।(2) आम नागरिकों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी तिरंगा फहराने की अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली। (3) 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था. इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी(4) किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है.(5) तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता.(6) किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. और न ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने किया जा सकता है। (7) किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन पर टच नहीं होना चाहिए. यह इसका अपमान होता है.(8)देश में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया  नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है।(9) तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है।

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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